77900 तिरंगे लहराकर तोड़ा पाक का रिकॉर्ड, अमित शाह बोले- इतिहास ने बाबू कुंवर सिंह के साथ अन्याय किया

Amit Shah
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अंकित सिंह । Apr 23 2022 3:10PM

अमित शाह ने कहा कि इतिहास में बाबू कुंवर सिंह के साथ अन्याय किया और उनकी वीरता और योग्यता के अनुरूप में इतिहासकारों ने इतिहास में उनको स्थान नहीं दिया। लेकिन आज बिहार की जनता ने बाबू जी को श्रद्धांजलि देकर वीर कुंवर सिंह का नाम इतिहास में फिर से अमर करने का काम किया है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जगदीशपुर में 'बाबू वीर कुंवर सिंह विजय उत्सव' कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस अवसर पर अमित शाह की मौजूदगी में 77 हजार 700 तिरंगे फहराकर भारत ने पाकिस्तान का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। बाबू कुंवर सिंह जी को श्रद्धांजलि देते हुए अमित शाह ने कहा कि आज हम सब बाबू कुंवर सिंह जी को श्रद्धांजलि देने आए हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज़ादी के 75वें साल में आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने का निर्णय लिया। जिसमें 3 पहलू थे। एक तो आजादी के दिवाने जिन्होंने देश के लिए जीवन बलिदान कर दिया, आज की युवा पीढ़ी जाने। उन्होंने कहा कि मैं अनेकों कार्यक्रम और रैलियों में गया हूँ, लेकिन आज राष्ट्रभक्ति का भान आज जो यहां दिख रहा है। मैं आज देखकर सच्च में निशब्द हूँ। ऐसा कार्यक्रम अपने जीवन में कभी नहीं देखा है।

शाह ने आगे कहा कि इतिहास में बाबू कुंवर सिंह के साथ अन्याय किया और उनकी वीरता और योग्यता के अनुरूप में इतिहासकारों ने इतिहास में उनको स्थान नहीं दिया। लेकिन आज बिहार की जनता ने बाबू जी को श्रद्धांजलि देकर वीर कुंवर सिंह का नाम इतिहास में फिर से अमर करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि लाखों-लाख लोग आज बिना कारण के इस चिलचिलाती धूप में तिरंगा लेकर बाबू वीर कुंवर सिंह को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। 163 वर्ष पूर्व 80 साल की उम्र के कुंवर सिंह जी ने इस क्षेत्र को अंग्रेज से मुक्ति दिलाई। आज लाखों-लाख लोग उनके लिए आएं हैं। मैं सबको नमन करता हूँ। उन्होंने कहा कि आजादी के पहले संग्राम को इतिहासकारों ने विफल विद्रोह कहकर बदनाम करने का काम किया। वीर सावरकर जी ने स्वतंत्रता संग्राम कहकर सम्मानित करने का काम किया। 

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शाह ने कहा कि वीर कुँवर सिंह जी ऐसे अकेले थें, जिन्होंने 80 साल के होने के बावजूद आरा-सासाराम से लेकर अयोध्या से बलिया होते हुए विजय का झंडा फहराने वाले व्यक्ति थें। उनके हाथ में गोली लग गई। उन्होंने अपने ही हाथ अपनी दूसरी हाथ काट ली। ऐसे साहस कुँवर सिंह के अलावा किसी में नहीं हो सकता। चार दिन तक खून बहने के बावजूद भी वो वीर व्यक्ति का प्राण नहीं गया। जगदीशपुर में आजादी का झंडा फहराने के बाद वो शहीद हुए। इसके साथ ही उन्होंने कुंवर सिंह की स्मृति में जगदीशपुर में उनकी भव्य स्मारक बनाने का ऐलान किया।

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