ऐतिहासिक विशालगढ़ किले की दरगाह पर दी जाएगी जानवरों की कुर्बानी, HC ने दी इजाजत

कोल्हापुर के विशालगढ़ किले में स्थित हजरत पीर मलिक रेहान मीरा साहब की दरगाह ने अधिवक्ता सतीश तालेकर और माधवी अयप्पन के माध्यम से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और कहा कि उसने 5 और 6 जून, 2025 को पशु वध और 7 से 12 जून तक उर्स के लिए अनुमति मांगने के लिए कई अधिकारियों को आवेदन दिया है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को कोल्हापुर के विशालगढ़ किले में स्थित दरगाह पर ईद-उल-अजहा (बकरीद) और उर्स के लिए पशु वध की अनुमति दे दी, साथ ही आवेदन पर रोक लगाने के लिए सरकारी अधिकारियों को फटकार भी लगाई। जस्टिस डॉ. नीला गोखले और फिरदौस पूनावाला की पीठ ने बताया कि कोर्ट ने पिछले साल ही दरगाह को त्योहार मनाने की अनुमति देते हुए एक आदेश जारी किया था।
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कोल्हापुर के विशालगढ़ किले में स्थित हजरत पीर मलिक रेहान मीरा साहब की दरगाह ने अधिवक्ता सतीश तालेकर और माधवी अयप्पन के माध्यम से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और कहा कि उसने 5 और 6 जून, 2025 को पशु वध और 7 से 12 जून तक उर्स के लिए अनुमति मांगने के लिए कई अधिकारियों को आवेदन दिया है। हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि अधिकारियों ने अभी भी आवेदन पर कार्रवाई नहीं की है।
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हर साल दरगाह पर तीन दिनों तक उर्स मनाया जाता है, जो साल में दो बार पीर साहब की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में मनाया जाता है - एक बार जून में ईद-उल-अज़हा के बाद और हर साल 12 से 14 जनवरी तक। याचिका में कहा गया है कि उर्स उत्सव का बहुत महत्व है क्योंकि अनुयायियों का मानना है कि हजरत पीर मलिक साहब दरगाह पर धरती पर उतरते हैं। याचिका में कहा गया है कि पीर साहब की कब्र के पास बना चांदी का गेट उर्स के पहले दिन चमत्कारिक रूप से अपने आप खुल जाता है।
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