अपना दल की भाजपा को दो-टूक: व्यवहार बदलिये, शेर को हिंसक मत बनाइये
पटेल ने अपनी पार्टी को शेर बताते हुए भाजपा के प्रति चेतावनी भरे लहजे में कहा शेर को जगाइये मत। यह शेर आपके पीछे चल रहा है, इसे हिंसक मत बनाइये।
लखनऊ। केन्द्र और उत्तर प्रदेश की सरकार में सहयोगी पार्टी अपना दल-सोनेलाल ने भाजपा प्रदेश नेतृत्व को आगाह करते हुए आज कहा कि वह सहयोगियों के साथ अपना व्यवहार सुधारे नहीं तो पार्टी ‘कोई भी निर्णय’ ले सकती है। अपना दल-सोनेलाल के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल ने यहां कार्यकर्ता सम्मेलन में कहा कि उनकी पार्टी वर्ष 2014 से भाजपा के साथ गठबंधन में है और वह इसका धर्म पूरी ईमानदारी से निभा रही है। मगर उत्तर प्रदेश में पार्टी को भाजपा से वह सम्मान नहीं मिल रहा है, जिसकी वह हकदार है। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा ‘‘आप (भाजपा) अपना व्यवहार बदलिये, वरना हमारी नेता (अनुप्रिया) कोई भी निर्णय ले सकती हैं।" हालांकि पटेल ने ऐसे किसी भी निर्णय के बारे में विस्तार से कुछ नहीं कहा।
लखनऊ पार्टी कार्यालय पर बैठक में पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष/सदस्य विधान परिषद श्री @ErAshishSPatel जी। pic.twitter.com/CG55TkDERb
— Apna Dal (S) (@ApnaDalOfficial) January 7, 2019
पटेल ने अपनी पार्टी को शेर बताते हुए भाजपा के प्रति चेतावनी भरे लहजे में कहा "शेर को जगाइये मत। यह शेर आपके पीछे चल रहा है, इसे हिंसक मत बनाइये। हमारी नेता जो भी निर्णय लेंगी, पूरी पार्टी उसका समर्थन करेगी।‘‘ पटेल ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश भाजपा का एक धड़ा ऐसा भी है जो नहीं चाहता कि केंद्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अगली सरकार बने। यही धड़ा अपना दल को भी परेशान कर रहा है।
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बाद में प्रेस कांफ्रेंस में पटेल से पूछा गया कि वह कौन सा धड़ा है, तो उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि यह पता लगाना आपका काम है। पटेल ने कहा कि वह किसी को धमकी नहीं दे रहे हैं, बल्कि अनुरोध कर रहे हैं कि प्रदेश की भाजपा सरकार दलितों और पिछड़ों में फैली निराशा को खत्म करे और यह काम कैसे होगा, इसे आप बखूबी जानते हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी की संरक्षण अनुप्रिया पटेल केन्द्र में स्वास्थ्य राज्यमंत्री हैं लेकिन उन्हें उत्तर प्रदेश में उन्हीं के मंत्रालय से जुड़ी परियोजनाओं से सम्बन्धित कार्यक्रमों में आमंत्रित नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश भाजपा सरकार ने निगमों में अध्यक्ष तथा अन्य पदाधिकारियों के पदों पर नियुक्ति में भी अपना दल की घोर उपेक्षा की।
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