सेना का ध्यान स्वदेशीकरण, तकनीक को अपनाने, परिचालन क्षमता बढ़ाने पर केंद्रित रहेगा: ले. जनरल अजय सिंह

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लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा, ‘‘यह थीम परिवर्तनकारी बदलाव के साथ ही हमारी परिचालन और साजोसामन संबंधी आवश्यकताओं के नवोन्मेषी समाधान के लिए घरेलू विशेषज्ञता का इस्तेमाल करने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की हमारी प्रतिबद्धता को दिखाता है।’’

पुणे। दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह ने कहा कि सेना की दक्षिण कमान स्वदेशीकरण, तकनीक को अपनाने और परिचालन क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगी। एक अप्रैल को अपना 130वां स्थापना दिवस मना रही दक्षिणी कमान भारतीय सेना की सबसे पुरानी और बड़ी कमान है, जिसके तहत 11 राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों का 41 प्रतिशत भूमि क्षेत्र आता है। 

दक्षिणी कमान के 38वें जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ ने एक साक्षात्कार में 2024 के दौरान परिवर्तनकारी बदलाव के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए कमान की प्रतिबद्धता के बारे में बात की। सेना 2024 को ‘‘प्रौद्योगिकी अवशोषण के वर्ष’’ के रूप में मना रही है। लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा, ‘‘यह थीम परिवर्तनकारी बदलाव के साथ ही हमारी परिचालन और साजोसामन संबंधी आवश्यकताओं के नवोन्मेषी समाधान के लिए घरेलू विशेषज्ञता का इस्तेमाल करने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की हमारी प्रतिबद्धता को दिखाता है।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘दक्षिणी कमान ने रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भर होने के भारत के लक्ष्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भौगोलिक रूप से देश के उद्योग केंद्रों के साथ स्थित होने और बड़ी संख्या में फील्ड फायरिंग रेंज (एफएफआर) होने के कारण, दक्षिणी कमान विभिन्न हथियार मंचों, महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों और परिष्कृत गोला-बारूद के परीक्षणों के लिए एक परीक्षण मंच के रूप में कार्य करता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एकाधिक डोमेन दृष्टिकोण के साथ संयुक्त एकीकृत संचालन ही आगे का रास्ता है और तीनों सेवाओं के बीच एकीकरण तथा तालमेल में सुधार करने के लिए दक्षिण कमान ने हाल ही में दो प्रमुख संयुक्त अभ्यास ‘अभ्यास भारत शक्ति’ और ‘अभ्यास त्रिशक्ति प्रहार’ किया। अभ्यास भारत शक्ति को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी देखा।’’ 

लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा, ‘‘सेना की परिवर्तन और परिचालन प्रभाविता के तौर पर, दक्षिण कमान क्षेत्र में इस साल 15 मार्च को पहली मध्यम लिफ्ट अटैक हेलीकॉप्टर स्क्वाड्रन की स्थापना की गयी। यह स्क्वाड्रन बोइंग के आधुनिक अपाचे ए एच 64ई हेलीकॉप्टर से लैस होगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘देश में आने वाले महीनों में दो चरणों में छह अनुबंधित हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति की जाएगी।’’ शीर्ष सैन्य कमांडर ने दक्षिणी कमान के मैत्रीपूर्ण देशों के साथ संयुक्त प्रशिक्षण के लिए ‘‘उत्कृष्ट अवसर’’ मुहैया कराने के बारे में भी बात की। 

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय सेना 100 से अधिक देशों के साथ संयुक्त प्रशिक्षण दे रही है और इसमें 25 से अधिक देशों में द्विपक्षीय संयुक्त अभ्यास, 70 देशों के 3,000 से अधिक सैन्य कर्मियों का प्रशिक्षण और दुनियाभर में 16 प्रशिक्षण दलों का प्रबंधन शामिल है।’’ लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा कि पुणे स्थित आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट युवा महिला एथलीट को राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद करने के लिए उन्हें कठोर प्रशिक्षण देगा। उन्होंने दक्षिणी कमान के 130वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर कहा कि कुल 30 लड़कियों ने पंजीकरण कराया है और वे संस्थान में प्रशिक्षण शुरू करेंगी। 

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दक्षिण कमान की स्थापना अप्रैल 1895 को की गयी थी और यह अपनी स्थापना के ही बाद से पुणे में स्थित है। इस कमान ने आजादी से पूर्व और आजादी के बाद कई अभियानों में सफलतापूर्वक भाग लिया। दक्षिणी कमान ने आजादी के तुरंत बाद जूनागढ़ और हैदराबाद के भारतीय संघ में विलय और 1961 में गोवा और दीव की मुक्ति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दक्षिण कमान भारत की 1,200 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा और 7,000 किलोमीटर की तटरेखा की रक्षा करती है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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