जेटली का सिन्हा पर पलटवार, कहा: 80 की उम्र में नौकरी चाहते हैं

Arun Jaitley hits out at Yashwant Sinha, calls him job applicant at Eighty

उन्होंने आरोप लगााया कि सिन्हा वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के पीछे-पीछे चल रहे हैं। वह भूल चुके हैं कि कैसे कभी दोनों एक दूसरे के खिलाफ कड़वे बोल का इस्तेमाल करते थे।

नयी दिल्ली। अर्थव्यवस्था का प्रबंधन करने में उनकी कड़ी आलोचना का सरकार द्वारा जोरदार खंडन किये जाने के बावजूद भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा अपनी बात पर कायम रहे और उम्मीद जताई कि केंद्र अपनी आर्थिक नीतियों की दिशा में बदलाव करेगा। उधर, वित्त मंत्री अरूण जेटली ने इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए जवाबी हमला बोला। जेटली ने सिन्हा को 80 साल की उम्र में नौकरी चाहने वाला करार देते हुए कहा कि वह वित्त मंत्री के रूप में अपने रिकॉर्ड को भूल गए हैं। इस मामले में सिन्हा के पुत्र और केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा भी कूद पड़े और सरकार की आर्थिक नीतियों का जोरदार बचाव किया। एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में जेटली ने कहा कि सिन्हा नीतियों की बजाय व्यक्तियों पर टिप्पणी कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगााया कि सिन्हा वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के पीछे-पीछे चल रहे हैं। वह भूल चुके हैं कि कैसे कभी दोनों एक दूसरे के खिलाफ कड़वे बोल का इस्तेमाल करते थे। हालांकि, जेटली ने सीधे-सीधे सिन्हा का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि उनके पास पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य नहीं है, न ही उनके पास ऐसा पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य है जो आज स्तंभकार बन चुका है। इसमें जेटली का पहला उल्लेख सिन्हा के लिए और दूसरा चिदंबरम के लिए था। उन्होंने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री होने पर मैं आसानी से संप्रग दो में नीतिगत शिथिलता को भूल जाता। मैं आसानी से 1998 से 2002 के एनपीए को भूल जाता। उस समय सिन्हा वित्त मंत्री थे।

मैं आसानी से 1991 में बचे चार अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार को भूल जाता। मैं पाला बदलकर इसकी व्याख्या बदल देता। जेटली ने सिन्हा पर तंज कसते हुए कहा कि वह इस तरह की टिप्पणियों के जरिये नौकरी ढूंढ रहे हैं। सिर्फ पीछे-पीछे चलने से तथ्य नहीं बदल जाएंगे। इससे पहले, अर्थव्यवस्था की मौजूदा हालत के लिये वित्त मंत्री अरूण जेटली पर हमला करके राजनैतिक तूफान खड़ा कर चुके सिन्हा ने कहा कि अर्थव्यवस्था की हालत पर चर्चा के लिये उन्होंने पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात का समय मांगा था लेकिन उन्हें समय नहीं मिला। उन्होंने राष्ट्रीय टेलीविजन चैनलों से कहा, ‘‘मैंने पाया कि मेरे लिये दरवाजे बंद थे। इसलिये, मेरे पास (मीडिया में) बोलने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। मुझे विश्वास है कि मेरे पास (प्रधानमंत्री को देने के लिये) उपयुक्त सुझाव हैं।’’ सिन्हा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह या पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम जैसे लोग जिन्हें वित्तीय मामलों पर विशेषज्ञ माना जाता है अगर बोलें तो उस समय की सरकार को उसे ‘सुनना चाहिये।’ उन्होंने उन लोगों की राय को ‘राजनैतिक शब्दाडंबर’ के तौर पर खारिज किये जाने के खिलाफ सलाह दी। भाजपा नेता ने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार का नाम लिये बिना कहा कि केंद्रीय परियोजनाओं के लचर कार्यान्वयन के लिये उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि राजग पिछले 40 महीने से सत्ता में है।

 

केंद्र की आर्थिक नीतियों पर सिन्हा के करारे हमले का उनके पुत्र और केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने भी एक अग्रणी अंग्रेजी अखबार में लेख के जरिये जवाब दिया। सिन्हा ने अपने पिता के लेख का वस्तुत: उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने चुनौतियों पर कई लेख लिखे जा चुके है। उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्यवश ये लेख कुछ सीमित तथ्यों से व्यापक निष्कर्षों को रेखांकित करते है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक या दो तिमाही के नतीजों से अर्थव्यवस्था का आकलन करना ठीक नहीं है और चल रहे संरचनात्मक सुधारों के लम्बे समय तक के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए यह आकड़े अपर्याप्त है।’’ जयंत ने कहा कि ये संरचनात्मक सुधार केवल वांछनीय नहीं है बल्कि इनकी जरूरत एक ‘न्यू इंडिया’ के निर्माण और बेहतर नौकरियां उपलब्ध कराने के लिए है। उन्होंने कहा, ‘‘नयी अर्थव्यवस्था अधिक पारदर्शी, वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी और इनोवेशन आधारित होगी तथा नयी अर्थव्यवस्था और भी अधिक न्यायोचित होगी जिससे सभी भारतीयों को बेहतर जीवन मिलेगा।’’ जयंत ने दावा किया कि वर्ष 2014 से मोदी सरकार द्वारा शुरू किये गये संरचनात्मक सुधारों से सुधारों का तीसरा चरण शुरू हुआ। इससे पहले वर्ष 1991 में और दूसरा चरण 1999-2004 राजग सरकार में हुआ था। उन्होंने कहा, ‘‘हम मजबूत अर्थव्यवस्था का निर्माण कर रहे है जिससे ‘‘न्यू इंडिया’’ के लिए लम्बी अवधि के लिए फायदा होगा और रोजगार के अवसरों का सृजन होगा।’’ इस बीच, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के समर्थन में आज उनकी पार्टी के एक अन्य नेता शत्रुघ्न सिन्हा भी उतर आए।

 

उन्होंने कहा कि यशवंत सच्चे अर्थों में राजनेता हैं और उन्होंने सरकार को आईना दिखाया है। पूर्व वित्त मंत्री के विचारों को खारिज करने वाले, पार्टी के नेताओं पर शत्रुघ्न ने निशाना साधा और कहा कि ऐसा करना ‘बचकाना’ होगा क्योंकि उनके (सिन्हा के) विचार पूरी तरह से ‘‘पार्टी और राष्ट्र के हित में है।’’ कई ट्वीट कर सरकार पर कटाक्ष करते हुए शत्रुघ्न ने यशवन्त सिन्हा की टिप्पणियों को लेकर कही जा रही बातों के संदर्भ में दावा किया कि हम सब जानते हैं कि किस तरह की ताकतें उनके पीछे पड़ी हैं। उन्होंने नरेंद्र मोदी का हवाला देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने हाल ही में कहा था कि राष्ट्र किसी भी दल से बड़ा है और राष्ट्र हित सबसे पहले आता है। केंद्र की आर्थिक नीतियों पर सिन्हा के करारे हमले का उनके पुत्र और केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने भी एक अग्रणी अंग्रेजी अखबार में लेख के जरिये जवाब दिया। नागर विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने अपने पिता के लेख का वस्तुत: उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने चुनौतियों पर कई लेख लिखे जा चुके है। उन्होंने कहा,‘‘ दुर्भाग्यवश ये लेख कुछ संकीर्ण तथ्यों से व्यापक निष्कर्षों को रेखांकित करते है।’’

 

उन्होंने कहा, ‘‘एक या दो तिमाही के नतीजों से अर्थव्यवस्था का आकलन करना ठीक नहीं है और चल रहे संरचनात्मक सुधारों के लम्बे समय तक के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए यह आकड़े अपर्याप्त है।’’ जयंत ने कहा कि ये संरचनात्मक सुधार केवल वांछनीय नहीं है बल्कि इनकी जरूरत एक ‘न्यू इंडिया’ के निर्माण और बेहतर नौकरियां उपलब्ध कराने के लिए है। उन्होंने कहा, ‘‘नयी अर्थव्यवस्था अधिक पारदर्शी, वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी और इनोवेशन आधारित होगी तथा नयी अर्थव्यवस्था और भी अधिक न्यायोचित होगी जिससे सभी भारतीयों को बेहतर जीवन मिलेगा।’’ जयंत ने दावा किया कि वर्ष 2014 से मोदी सरकार द्वारा शुरू किये गये संरचनात्मक सुधारों से सुधारों का तीसरा चरण शुरू हुआ। इससे पहले वर्ष 1991 में और दूसरा चरण 1999-2004 राजग सरकार में हुआ था। उन्होंने कहा, ‘‘ हम मजबूत अर्थव्यवस्था का निर्माण कर रहे है जिससे ‘‘न्यू इंडिया’’ के लिए लम्बी अवधि के लिए फायदा होगा और रोजगार के अवसरों का सृजन होगा।’’ इस बीच, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के समर्थन में आज उनकी पार्टी के एक अन्य नेता शत्रुघ्न सिन्हा भी उतर आए। उन्होंने कहा कि यशवंत सच्चे अर्थों में राजनेता हैं और उन्होंने सरकार को आईना दिखाया है।

 

पूर्व वित्त मंत्री के विचारों को खारिज करने वाले, पार्टी के नेताओं पर शत्रुघ्न ने निशाना साधा और कहा कि ऐसा करना ‘बचकाना’ होगा क्योंकि उनके (सिन्हा के) विचार पूरी तरह से ‘‘पार्टी और राष्ट्र के हित में है।’’ कई ट्वीट कर सरकार पर कटाक्ष करते हुए शत्रुघ्न ने यशवन्त सिन्हा की टिप्पणियों को लेकर कही जा रही बातों के संदर्भ में दावा किया कि हम सब जानते हैं कि किस तरह की ताकतें उनके पीछे पड़ी हैं। उन्होंने नरेंद्र मोदी का हवाला देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने हाल ही में कहा था कि राष्ट्र किसी भी दल से बड़ा है और राष्ट्र हित सबसे पहले आता है। शत्रुघ्न ने ट्वीट किया, ‘‘मेरा दृढ़ता से यह मानना है कि सिन्हा ने जो कुछ भी लिखा है वह पार्टी और राष्ट्र के हित में है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वह सच्चे अर्थों में राजनेता हैं, जिसने खुद को साबित किया है और जो देश के सबसे सफल वित्त मंत्रियों में से एक हैं। उन्होंने भारत की आर्थिक स्थिति को लेकर आईना दिखाया है और समस्या की जड़ पर चोट की है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या असंतोष की वजह से उन्होंने सरकार की आलोचना की तो यशवंत सिन्हा ने पलटकर कहा कि यह सबसे घटिया आरोप है जो उनपर लगाया जा सकता है। उन्होंने जोर दिया कि वह तकनीकी रूप से भाजपा के सदस्य हैं और पार्टी ने ‘मुझे बाहर नहीं किया’ है।

 

सरकार का अपने पुत्र द्वारा किये गये बचाव का उल्लेख करते हुए सिन्हा ने कहा कि वह जानना चाहते हैं कि अगर उनके द्वारा उठाई गई चिंताओं का जवाब देने में जयंत इतने ही सक्षम हैं तो उन्हें वित्त मंत्रालय से क्यों हटाया गया। जयंत ने सरकार की आर्थिक नीतियों का एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित लेख में बचाव किया। उन्हें पिछले साल जुलाई में वित्त राज्य मंत्री के पद से हटाकर नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री बनाया गया था।पूर्व वित्त मंत्री सिन्हा ने कहा, ‘‘आर्थिक संवृद्धि दर में तिमाही दर तिमाही गिरावट आ रही है। मैंने तब बोलने का फैसला किया जब अर्थव्यवस्था में समस्या में वृद्धि हो रही है। मुझे उम्मीद है कि सरकार अब भी पैदा हुए हालात में सुधार के लिये कदम उठाएगी।’’ सिन्हा ने कहा कि उन्होंने ‘निजी द्वेष’ की वजह से ये मुद्दे नहीं उठाए हैं। उन्होंने कहा कि एक अग्रणी अंग्रेजी दैनिक में लेख के जरिये अर्थव्यवस्था के बारे में चिंताओं को उजागर करने के पीछे का उद्देश्य सार्वजनिक पटल पर कुछ मुद्दों को लाना था ताकि सरकार अपनी दिशा में सुधार करे। सिन्हा ने कहा कि उन्होंने उम्मीद नहीं की थी कि उनका लेख इतना हंगामा खड़ा कर देगा। इस मुद्दे पर केंद्र और महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी शिवसेना भी सिन्हा के समर्थन में उतर गई। शिवसेना ने केन्द्र सरकार को चुनौती दी है कि वह पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के आर्थिक हालात के बारे में लिखे गए लेख को गलत साबित करके दिखाए। साथ ही तंज किया कि विचारों को व्यक्त करने के लिए भाजपा नेता को क्या सजा दी जाएगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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