जब वाजपयी जी ने कहा था, अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा
एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में खुलकर हिन्दुत्व की राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी का गठन 6 अप्रैल 1980 को हुई थी। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष बने थे।
एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में खुलकर हिन्दुत्व की राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी का गठन 6 अप्रैल 1980 को हुई थी। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष बने थे। ऐसा कहा जाता है कि आज भाजपा जो कुछ भी है उसमें अटल बिहारी वाजेपयी और लालकृष्ण आडवाणी की अहम भूमिका रही है। हालंकि 1980 में गठन के बाद 1984 के आम चुनाव में भाजपा को केवल दो सीटों पर ही कामयाबी मिल पाई थी।
पार्टी के गठन के बाद पहले अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए अटल बिहारी वाजेपयी ने कहा था कि 'भाजपा का अध्यक्ष पद कोई अलंकार की वस्तु नहीं है. ये पद नहीं दायित्व है, प्रतिष्ठा नहीं है परीक्षा है, ये सम्मान नहीं है चुनौती है।' उन्होंने आगे कहा था कि मुझे भरोसा है कि आपके सहयोग से देश की जनता के समर्थन से मैं इस जिम्मेदारी को ठीक तरह से निभा सकूंगा।
इसी समय अटल जी ने पार्टी के कामकाज करने के तरीकों को सार्वजनिक तौर पर लोगों के समक्ष रखा था। इसी अधिवेशन में वाजपेयी जी ने महात्मा गांधी और जयप्रकाश नरायण के सपनों को पूरा करने का संकंल्प लिया था। जोड़तोड़ की राजनीति को खारिज करते हुए वाजपेयी जी ने रकहा था कि भाजपा राजनीति में, राजनीतिक दलों में, राजनेताओं में, जनता के खोए हुए विश्वास को पुनः स्थापित करने के लिए जमीन से जुड़ी राजनीति करेगी जो अपने आप में बड़ी बात थी।
अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने भाषण के आखिरी कहा अपने चिरपरिचित अंदाज में कहा था:-
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