अयोध्या केस: विशारद के वकील ने गनी की गवाही का दिया हवाला, SC ने पूछा- ये हलफनामा वेरिफाई है

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अभिनय आकाश । Aug 22 2019 4:26PM

सुप्रीम कोर्ट में रामलला के वकील की तरफ से स्कन्द पुराण और अन्य पुराणों का जिक्र किया गया और रामजन्मभूमि के सबूतों को सामने रखा गया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने वकील से पूछा कि क्या आपको पता है कि ये कब लिखा गया था. जिसपर वकील ने बताया कि ये गुप्त वंश के दौरान लिखा गया था। रामलला विराजमान के वकील की तरफ से बहस पूरी होने के बाद रामजन्म स्थान पुनरुद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा ने अपनी दलील रखते हुए कहा कि सरयू नदी में स्नान के बाद लोग जन्मस्थान का दर्शन करने जाते थे।

रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई हो रही है। उच्चतम न्यायालय में अयोध्या मामले की दसवें दिन की सुनवाई हो रही है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली, पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ गोपाल सिंह विशारद की दलीलें सुन रहे हैं। अभी तक निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के वकील अपना पक्ष अदालत में रख चुके हैं। कल सुनवाई खत्म होने से पहले गोपाल सिंह विशारद की ओर से वकील रंजीत कुमार अपनी दलीलें रख रहे थे। आज भी वही अपनी बात आगे बढ़ा रहे हैं। कुमार ने पीठ से कहा, ‘‘मैं परासरण और वैद्यनाथन के अभ्यावेदनों के संदर्भ में अपना अभ्यावेदन दे रहा हूं कि यह जन्मस्थल अपने आप में एक दैवीय स्थल है और उपासक होने के नाते पूजा करना मेरा नागरिक अधिकार है जो छीना नहीं जाना चाहिए।’’विशारद के वकील ने (80 साल के अब्दुल गनी की गवाही का हवाला देते हुए)  कहा कि 1949 में मुस्लिम पार्टी ने कहा था कि वह 1935 से वहां पर नमाज नहीं पढ़ रहे हैं, ऐसे में अगर जमीन को हिंदुओं को दिया जाता है तो कोई परेशानी नहीं होगी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामे की वैधता को पूछा और पूछा कि क्या ये हलफनामे वेरिफाई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा क्या उन मुसलमान गवाहों से क्रॉस एग्जामिन किया गया था? जिस पर कुमार ने कहा कि उनका क्रॉस एग्जामिन नहीं किया गया, लेकिन वह लोग खुद सामने आए थे और उन्होंने बयान दिया था। रंजीत कुमार ने कई गवाहों के बयान का जिक्र किया। इससे पहले हिंदू महासभा के वकील ने कहा था कि वह जिरह के लिए तैयार नहीं हैं। वकील ने कहा कि उन्हें पता नहीं था कि आज उनकी बारी आएगी। इसके बाद गोपाल सिंह विशारद की तरफ से वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने अपना पक्ष रखना शुरू किया। 

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बुधवार को नौवें दिन की शुनवाई में रामलला विराजमान के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि अगर वहां पर कोई मंदिर नहीं था, कोई देवता नहीं है तो भी लोगों की जन्मभूमि के प्रति आस्था काफी है। वहां पर मूर्ति रखना उस स्थान को पवित्रता प्रदान करता है। वैद्यनाथन ने कहा कि रामलला नाबालिग हैं, ऐसे में नाबालिग की संपत्ति को ना तो बेचा जा सकता है और ना ही छीना जा सकता है। राजीव धवन ने अदालत को बताया कि अयोध्या के पास पहले घाघर नदी थी, जिसे सरयू की सहायक नदी माना गया। इसको लेकर दो बार रुख बदला गया, ऐसे में अब बार-बार चर्चा नहीं कर सकते हैं।

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सुप्रीम कोर्ट में रामलला के वकील की तरफ से स्कन्द पुराण और अन्य पुराणों का जिक्र किया गया और रामजन्मभूमि के सबूतों को सामने रखा गया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने वकील से पूछा कि क्या आपको पता है कि ये कब लिखा गया था. जिसपर वकील ने बताया कि ये गुप्त वंश के दौरान लिखा गया था। रामलला विराजमान के वकील की तरफ से बहस पूरी होने के बाद रामजन्म स्थान पुनरुद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा ने अपनी दलील रखते हुए कहा कि सरयू नदी में स्नान के बाद लोग जन्मस्थान का दर्शन करने जाते थे। जिस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हमें नक्शा दिखाएं या कुछ ऐसा दिखाइए कि जिससे पता लग सके कि आप जिस स्थान का दावा कर रहे हैं वो वही जगह है। चीफ जस्टिस ने कहा कि धर्मग्रंथों का इस वक्त मामले से लेना-देना नहीं है क्योंकि सवाल आस्था का नहीं बल्कि जमीन का है।

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