रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस में आज की सुनवाई की 10 बड़ी बातें

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अभिनय आकाश । Aug 21 2019 5:11PM

आज रामलला के वकील सी.एस वैद्यनाथन ने कहा कि अगर जन्मस्थान देवता है, अगर संपत्ति खुद में एक देवता है तो भूमि के मालिकाना हक का दावा कोई नहीं कर सकता। कोई भी बाबरी मस्जिद के आधार पर उक्त संपत्ति पर अपने कब्जे का दावा नहीं कर सकता।

रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई हो रही है। उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या मामले में नौंवे दिन की सुनवाई की। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली, पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने ‘राम लला विराजमान’ के वकील सी.एस वैद्यनाथन की दलीलें सुननी दी। एक तरफ रामलला विराजमान के वकील लगातार रिपोर्ट, पुराणों का जिक्र कर रहे हैं। आज रामलला के वकील सी.एस वैद्यनाथन ने कहा कि अगर जन्मस्थान देवता है, अगर संपत्ति खुद में एक देवता है तो भूमि के मालिकाना हक का दावा कोई नहीं कर सकता। कोई भी बाबरी मस्जिद के आधार पर उक्त संपत्ति पर अपने कब्जे का दावा नहीं कर सकता। 

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  • वैद्यनाथन ने कहा कि अगर वहां पर कोई मंदिर नहीं था, कोई देवता नहीं है तो भी लोगों की जन्मभूमि के प्रति आस्था काफी है। वहां पर मूर्ति रखना उस स्थान को पवित्रता प्रदान करता है। 
  • वैद्यनाथन ने कहा कि रामलला नाबालिग हैं, ऐसे में नाबालिग की संपत्ति को ना तो बेचा जा सकता है और ना ही छीना जा सकता है।
  • राजीव धवन ने अदालत को बताया कि अयोध्या के पास पहले घाघर नदी थी, जिसे सरयू की सहायक नदी माना गया। इसको लेकर दो बार रुख बदला गया, ऐसे में अब बार-बार चर्चा नहीं कर सकते हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट में रामलला के वकील की तरफ से स्कन्द पुराण और अन्य पुराणों का जिक्र किया गया और रामजन्मभूमि के सबूतों को सामने रखा गया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने वकील से पूछा कि क्या आपको पता है कि ये कब लिखा गया था. जिसपर वकील ने बताया कि ये गुप्त वंश के दौरान लिखा गया था.
  • रामलला विराजमान के वकील की तरफ से बहस पूरी होने के बाद रामजन्म स्थान पुनरुद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा ने अपनी दलील रखते हुए कहा कि सरयू नदी में स्नान के बाद लोग जन्मस्थान का दर्शन करने जाते थे।
  • जिस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हमें नक्शा दिखाएं या कुछ ऐसा दिखाइए कि जिससे पता लग सके कि आप जिस स्थान का दावा कर रहे हैं वो वही जगह है। चीफ जस्टिस ने कहा कि धर्मग्रंथों का इस वक्त मामले से लेना-देना नहीं है क्योंकि सवाल आस्था का नहीं बल्कि जमीन का है।
  • पीएन मिश्रा के बाद हिंदू महासभा के वकील के पक्ष रखने की बारी आई। उन्होंने अपनी दलील में जिक्र किया कि जमीन का मालिकाना हक सरकार के पास है।
  • जिसपर जस्टिस बोबड़े ने कहा कि जमीन का कंट्रोल सरकार के पास नहीं है।
  • हिंदू महासभा के वकील ने कहा कि वह जिरह के लिए तैयार नहीं हैं। वकील ने कहा कि उन्हें पता नहीं था कि आज उनकी बारी आएगी।
  • इसके बाद गोपाल सिंह विशारद की तरफ से वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने अपना पक्ष रखा।

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