रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस- पांचवें दिन की सुनवाई की प्रमुख बातें

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अभिनय आकाश । Aug 13 2019 6:40PM

पहले और दूसरे दिन सर्वोच्च अदालत में निर्मोही अखाड़ा और रामलला के वकीलों ने अपने दलील रखी थी। जबकि तीसरे दिन राम लला की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष दलीलें पेश की थी।चौथे दिन मुस्लिम पक्षकारों में से एक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने हफ्ते में 5 दिन सुनवाई का किया विरोध किया।

अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर पर पांचवें दिन सुनवाई जारी है। इस मामले में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में 5 जजों की पीठ रोजाना सुनवाई कर रही है, जिसमें हफ्ते में पांच दिन ये मामला सुना जा रहा है। रामलला विराजमान की तरफ से के. परासरण ने कहा कि इस मामले को किसी तरह से टालना नहीं चाहिए, अगर किसी वकील ने ये केस हाथ में लिया है तो उसे पूरा करना चाहिए। बीच में कोई दूसरा केस नहीं लेना चाहिए. के. परासरण ने अपनी दलीलें पूरी कर दी हैं। राम लला के लिए एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने न्यायालय को बताया कि वह इस मुद्दे पर बहस करेंगे कि क्या उस जगह पर कोई मंदिर था जिस जगह पर मस्जिद बनाई गई। वैद्यनाथन ने कहा कि मस्जिद से पहले उस स्थान पर मंदिर था, इसका कोई सबूत नहीं है कि बाबर ने ही वो मस्जिद बनाई थी। मुस्लिम पक्ष ने दावा किया था कि उनके पास 438 साल से जमीन का अधिकार है, लेकिन हाईकोर्ट ने भी उनके इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया था। 

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रामलला की तरफ से वकील वैद्यनाथन ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने ही अपने एक फैसले में कहा था कि मंदिर के लिए मूर्ति होना जरूरी नहीं है। अब रामजन्मभूमि को लेकर जो आस्था है, वह सभी शर्तों को पूरा करती है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि रामलला का जन्मस्थान कहां है? जिसपर रामलला के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाबरी मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे वाले स्थान को भगवान राम का जन्मस्थान माना है। वकील ने कहा कि मुस्लिम पक्ष की तरफ से विवादित स्थल पर उनका मालिकाना हक साबित नहीं किया गया था।

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सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान से जमीन पर कब्जे के सबूत पेश करने को कहा है। संविधान पीठ ने कहा कि आप सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावे को नकार रहे हैं, आप अपने दावे को कैसे साबित करेंगे। इस पर रामलला के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि ये हमारा नजरिया है, अगर कोई दूसरा पक्ष उसपर दावा करता है तो हम डील कर लेंगे। लेकिन हमारा मानना है कि स्थान देवता है और देवता का दो पक्षों में सामूहिक कब्जा नहीं दिया जा सकता। वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने हिंदू पक्ष की दलील पर ऑब्जेक्शन करते हुए हुए कहा कि अभी तक अदालत में कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया। सभी दलीलें केवल इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय पर आधारित हैं। जिस पर सीजेआई ने नाराजगी जताते हुए कहा कि वह मुस्लिम पक्षों का प्रतिनिधित्व करें. दूसरे पक्ष की बहस में बाधा न डालें। सीजेआई ने कहा- हम यह साफ कर देने चाहते है कि हमे कोई जल्दी नहीं है, इस मामले में सभी पक्षों को जिरह का पूरा मौका मिलेगा। वैद्यनाथन ने कहा कि हाई कोर्ट के तीनों जज भी इसको लेकर एक राय थे कि विवादित जमीन पर कभी भी मुस्लिम पक्ष का एकाधिकार नहीं रहा और तीनों ने वहां मंदिर की मौजूदगी को माना था। हालांकि जस्टिस एस यू खान की राय थोड़ा अलग थी, पर उन्होंने भी पूरी तरह से मंदिर की बात को खारिज नहीं किया था।

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पहले और दूसरे दिन सर्वोच्च अदालत में निर्मोही अखाड़ा और रामलला के वकीलों ने अपने दलील रखी थी। जबकि तीसरे दिन राम लला की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष दलीलें पेश की थी।चौथे दिन मुस्लिम पक्षकारों में से एक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने हफ्ते में 5 दिन सुनवाई का किया विरोध किया। सीनियर एडवोकेट आर धवन का कहना है कि अगर हफ्ते में 5 दिन सुनवाई होती है तो यह अमानवीय है और हम अदालत की सहायता नहीं कर पाएंगे। सुनवाई के माध्यम से नहीं पहुँचा जा सकता और मुझे यह केस छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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