Ayodhya: रामलला के प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन देशभर के 5 लाख मंदिरों में विशेष पूजा होगी

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ANI
अंकित सिंह । Nov 3 2023 12:06PM

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने एक बयान में कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर प्राणप्रतिष्ठा दिवस अर्थात 22 जनवरी 2024 पर देश भर के पांच लाख से अधिक मंदिरों में आयोजित होने वाले कार्यक्रम के लिए आमंत्रण हेतु 'पूजित अक्षत' 5 नवंबर को देश भर के 45 प्रांतों से अयोध्या धाम पधारे कार्यकर्ताओं को समर्पित किये जायेंगे।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने घोषणा की है कि 22 जनवरी 2024 को राम लला के प्राण प्रतिष्ठा दिवस पर देश भर के लगभग 5 लाख मंदिरों में एक साथ पूजा की जाएगी। इस भव्य आयोजन को सुविधाजनक बनाने के लिए, राम मंदिर अधिकारी 5 नवंबर को लगभग 45 प्रांतों के कार्यकर्ताओं को 'पूजित अक्षत' का वितरण शुरू करेंगे। अक्षत कच्चा, बिना टूटा हुआ चावल है जो अनुष्ठानों के दौरान देवी-देवताओं को चढ़ाया जाता है। पूरे देश में पूजित अक्षत वितरण का कार्य विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा क्रमबद्ध तरीके से किया जाएगा।

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ट्रस्ट ने क्या कहा

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने एक बयान में कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर प्राणप्रतिष्ठा दिवस अर्थात 22 जनवरी 2024 पर देश भर के पांच लाख से अधिक मंदिरों में आयोजित होने वाले कार्यक्रम के लिए आमंत्रण हेतु 'पूजित अक्षत' 5 नवंबर को देश भर के 45 प्रांतों से अयोध्या धाम पधारे कार्यकर्ताओं को समर्पित किये जायेंगे। इस पूजित अक्षत को वे सभी कार्यकर्ता अपने प्रांतो में ले जायेंगे। इस अक्षत के माध्यम से देश के सभी शहर और ग्राम में जनमानस को उत्सव हेतु आमंत्रित किया जाएगा। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, भव्य कार्यक्रम व्यवस्थित तरीके से 45 दिनों तक चलेगा।

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मिली जानकारी के मुताबिक 4 नवंबर को करीब 200 कार्यकर्ता अयोध्या पहुंचेंगे। उनमें से पांच वहां से अक्षत (पवित्र चावल) से भरे पीतल के कलश ले जाएंगे। यह अक्षत ट्रस्ट की ओर से आमंत्रण का प्रतीक होगा। 5 नवंबर से दिसंबर के आखिरी सप्ताह तक देशभर के सभी मंदिरों में कार्यकर्ता अक्षत लेकर जाएंगे। 1 जनवरी से 15 जनवरी 2024 तक हाथ में पूजित अक्षत लेकर कार्यकर्ता हर गांव, मोहल्ले और बस्ती में जाकर सभी को महोत्सव में शामिल होने का औपचारिक निमंत्रण देंगे। 22 जनवरी को, अभिषेक के दिन, कार्यकर्ता अपने संबंधित स्थानीय मंदिरों में एकत्र होंगे। वहां भजन-कीर्तन किए जाएंगे और शाम को अपने दरवाजे पर दीपक जलाए जाएंगे।

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