छात्र संगठन ने बैनर लगाकर मेघालय के बंगालियों को बताया बांग्लादेशी, पुलिस ने दी चेतावनी

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छात्र संगठन खासी छात्र यूनियन (केएसयू) की तरफ से राज्य के विभिन्न हिस्सों में लगाये गये इन बैनरों पर लिखा है कि मेघालय के सभी बंगाली बांग्लादेशी हैं। पुलिस ने हालांकि इन बैनरों को बुधवार की शाम हटा दिया और चेतावनी दी कि सांप्रदायिक वैमनस्य को भड़काने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी।

शिलांग। मेघालय के एक प्रभावशाली छात्र संगठन ने बैनर लगाया है जिसमें कहा गया है कि राज्य के सभी बंगाली बांग्लादेशी हैं, जिसके बाद प्रदेश के पूर्व राज्यपाल एवं भारतीय जनता पार्टी केवरिष्ठ नेता तथागत रॉय ने इसे आतंकवादी संगठन घोषित करने की मांग की है। छात्र संगठन खासी छात्र यूनियन (केएसयू) की तरफ से राज्य के विभिन्न हिस्सों में लगाये गये इन बैनरों पर लिखा है कि मेघालय के सभी बंगाली बांग्लादेशी हैं। पुलिस ने हालांकि इन बैनरों को बुधवार की शाम हटा दिया और चेतावनी दी कि सांप्रदायिक वैमनस्य को भड़काने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी। केएसयू ने इन बैनरों में अपने एक सदस्य के मारे जाने के प्रति शोक भी जताया है, जो भारत बांग्लादेश सीमा पर स्थित इचामती गांव में इस साल फरवरी में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन में मारा गया था। यह गांव बंगालियों की बहुलता वाला है। यह मुद्दा तब गरमाया है जब कुछ लोगों ने हाल ही में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग तथा प्रदेश के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को पत्र लिख कर इचामती में स्थानीय लोगों द्वारा बंगालियों के उत्पीड़न का आरोप लगाया था। संगठन की कार्रवाई का बचाव करते हुये केएसयू प्रमुख लम्बोक मार्नगर ने कहा, शिलांग एवं राज्य के अन्य हिस्सों में बैनर लगाने की मंशा समस्या पैदा करने वालों को संदेश देना है जो देश को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं और घृणा पैदा कर रहे हैं, खास तौर से इचामती मुद्दे पर।

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मार्नगर ने बताया, जो लोग शिलांग का निवासी होने का दावा करते हैं और कोलकाता एवं अन्य स्थानों पर रहते हैं वे गलत बयान दे रहे हैं कि खासी समुदाय के लोग गैर आदिवासियों को निशाना बना रहे हैं। 

इसको लेकर उन लोगों ने कोलकाता एवं सिलचर में विरोध प्रदर्शन आयोजित किये हैं। इस मामले में कोलकाता स्थित मेघालय हाउस के बाहर कुछ लोगों द्वारा हाल ही में प्रदर्शन किये जाने के बाद ये बैनर लगाये गये हैं। एक बंगाली नेता की योजना बुधवार को इचामती जाने की थी लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। पुलिस के सहायक उप महानिरीक्षक जी के इयांगराय ने संगठन से अपील की है कि वह सामाजिक ढांचे को प्रभावित करने वाली किसी भी गतिविधि से बचें।
उन्होंने कहा कि किसी भी तरीके से साम्प्रदायिक वैमनस्य भड़काने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जायेगी। कोलकाता के रहने वाले रॉय ने ट्वीट किया, मेघालय के पूर्व राज्यपाल होने की हैसियत से जिम्मेदारीपूर्वक मैं कह रहा हूं कि केएसयू को एचएनएलसी की तरह प्रतिबंधित करने की जरूरत है। रॉय ने ​लिखा, यह एक राष्ट्रविरोधी आतंकवादी संगठन है, जो भारतीय नागरिकों को धमकी दे रहा है, उनमें से कुछ ब्रिटिश समय से ही मेघालय के रहने वाले हैं। राज्य सरकार ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इचामती में लोगों के उत्पीड़न का कोई मामला नहीं मिला है। खास तौर से महिलाओं एवं बच्चों का। इस साल फरवरी में इचामती संशोधित नागरिकता कानून विरोधी झड़प का केंद्र बन गया था जब एक गैर सरकारी संगठन के नेता की गैर आदिवासी लोगों ने इस कानून के समर्थन में पीट पीट कर हत्या कर दी थी। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मामले का मुख्य आरोपी अब भी फरार है लेकिन इस मामले में 41 लोगों को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ की गयी थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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