बेरूत वाला बारूद भारत में भी मौजूद, विशेषज्ञ रासायनिक कचरे को लेकर भी चिंतित

ammonium nitrate

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विशेषज्ञों ने बताया कि हर साल भारत करीब 3 लाख टन अमोनियम नाइट्रेट का आयात करता है। इसका इस्तेमाल फर्टिलाइजर और विस्फोटक बनाने में किया जाता है।

नयी दिल्ली। लेबनान की राजधानी बेरूत में मौत और तबाही की वजह बने अमोनियम नाइट्रेट से अब भारत को भी सतर्क होने की आवश्यकता है। चेन्नई में भी करीब 700 टन अमोनियम नाइट्रेट गोदाम में रखा हुआ है जो कभी भी बेरूत हादसे की शक्ल धारण कर सकता है। बता दें कि, अमोनियम नाइट्रेट के कंटेनरों को साल 2015 में जब्त किया गया था और क्योंकि आयात करने वाली कम्पनी ने इसकी अनुमति नहीं ली थी।

बेरूत धमाके के बाद अब चेन्नई में रखे रसायन को लेकर काफी चिंता जताई जाने लगी। हालांकि बाद में अधिकारियों के हवाले से जानकारी निकलकर सामने आई कि अमोनियम नाइट्रेट पूरी तरह से सुरक्षित रखा हुआ है और उसकी नीलामी की प्रक्रिया जारी है। लेकिन सिर्फ चेन्नई में रखे हुए 700 टन अमोनियम नाइट्रेट को लेकर ही लोग चितिंत नहीं हैं बल्कि चिंता इस बात से है कि देश में हर साल करीब 3 लाख टन रसायन का आयात होता है। 

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विशेषज्ञों ने बताया कि हर साल भारत करीब 3 लाख टन अमोनियम नाइट्रेट का आयात करता है। इसका इस्तेमाल फर्टिलाइजर और विस्फोटक बनाने में किया जाता है। विशेषज्ञों ने बताया कि पहले अमोनियम नाइट्रेट की चोरी भी होती रही हैं और इसका इस्तेमाल अवैध रूप से माइनिंग वाले इलाकों में किया जाता रहा है।

अमोनियम नाइट्रेट नियम 2012 के तहत इस रसायन को किसी भी रिहायशी इलाके में स्टोर करके नहीं रखा जा सकता है। इतना ही नहीं इसके निर्माण के लिए औद्योगिक विकास और विनियमन अधिनियम 1951 के तहत एक लाइसेंस की भी आवश्यकता होती है। 

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अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल कहा होता है ?

अमोनियम नाइट्रेट का औद्योगिक स्तर पर बड़ी मात्रा में उत्पादन होता है और इसका इस्तेमाल नाइट्रोजन के स्त्रोत के रूप में ऊर्वरक के लिए किया जाता है। हालांकि, विस्फोटक तैयार करने में भी इसका इस्तेमाल होता है। यह सफेद रंग का होता है। विशेषज्ञों ने बताया कि इसका उत्पादन दुनिया भर में होता है और यह खरीदने की दृष्टि से काफी सस्ता पड़ता है। लेकिन इसे स्टोर करना एक मुश्किल काम है।

रासायनिक कचरा भी चिंता का विषय

अमोनियम नाइट्रेट के अलावा विशेषज्ञ रासायनिक कचरे को लेकर भी चितिंत हैं। एक हिन्दी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, रासायनिक कचरे पर काम कर रहे डॉ. प्रत्युष मुखर्जी ने सवाल पूछा कि भारत इस तरह के खतरनाक रसायन के स्टोरेज, हैंडलिंग, ट्रांसपोर्ट और मैन्युफेक्चरिंग के लिए कितना तैयार है ? 

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सीपीसीबी की एक रिपोर्ट बताती है कि 22 राज्यों में करीब 329 औद्योगिक साइट्स पर खतरनाक रसायन जमा है। इनमें से 124 साइट ऐसी हैं जहां पर क्रोमियम, लेड, मर्करी, हाइड्रोकार्बन टॉल्यूयीन, नाइट्रेट, आर्सेनिक, फ्लोराइड, हैवी मेटल, साइनाइड इनऑर्गेनिक साल्ट, डीडीटी, इंडोसल्फोन जैसे रसायनिक कचरा जमा मौजूद है।

गौरतलब है कि बेरूत बंदरगाह पर 2,750 टन विस्फोटक अमोनियम नाइट्रेट 2014 से रखा हुआ था। जो हाल ही में ब्लास्ट हो गया। जिसमें करीब 157 लोगों की मौत हुई जबकि पांच हजार के करीब लोग घायल बताए जा रहे हैं।

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