भगोड़ा विजय माल्या मामले में सीबीआई को मिली बड़ी कामयाबी

Big success for CBI in Vijay Mallya case
[email protected] । Apr 27 2018 7:20PM

ब्रिटेन की एक अदालत ने विवादित शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण से जुड़े मुकदमे में भारतीय अधिकारियों की ओर से सौंपे गए बहुत सारे साक्ष्यों को आज स्वीकार कर लिया। इस मामले में अगली सुनवाई अब 11 जुलाई को होगी।

लंदन। ब्रिटेन की एक अदालत ने विवादित शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण से जुड़े मुकदमे में भारतीय अधिकारियों की ओर से सौंपे गए बहुत सारे साक्ष्यों को आज स्वीकार कर लिया। इस मामले में अगली सुनवाई अब 11 जुलाई को होगी। माल्या (62) करीब 9,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी और धनशोधन के मामले में भारत में वांछित हैं। पिछले साल अप्रैल में स्कॉटलैंड यार्ड की ओर से प्रत्यर्पण वॉरंट पर अपनी गिरफ्तारी के बाद से वह 650,000 पाउंड की जमानत पर हैं। आज उनकी जमानत अवधि अगली सुनवाई की तारीख 11 जुलाई तक के लिए बढ़ा दी गई। अदालत जब अगली सुनवाई करेगी तो वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत की न्यायाधीश एम्मा अर्बथनॉट के समक्ष मौखिक दलीलें दी जाएंगी। इसके बाद न्यायाधीश अगली सुनवाई में मामले पर फैसले की अपनी योजना के संकेत दे सकती हैं। इससे पहले, माल्या सुनवाई के सिलसिले में अदालत आए थे जिस दौरान सीबीआई को उस वक्त बड़ी कामयाबी मिली जब न्यायाधीश ने पुष्टि की कि भारतीय अधिकारियों की ओर से सौंपे गए बहुत सारे साक्ष्य स्वीकार किए जाएंगे।

माल्या ने स्थानीय वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत के बाहर पत्रकारों को बताया, ‘‘अदालत में एक और दिन।’’ आज की सुनवाई ऐसे समय में हुई जब प्रत्यर्पण पर वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत के एक पिछले फैसले के खिलाफ भारत सरकार की ओर से उच्च न्यायालय में की गई अपील नकार दी गई थी। साल 2000 में दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान हैंसी क्रोन्ये से जुड़े मैच फिक्सिंग मामले में अहम आरोपी और भारत में वांछित संजीव कुमार चावला को दिल्ली के तिहाड़ जेल की गंभीर स्थितियों के मुद्दे पर मानवाधिकारों के आधार पर पिछले साल अक्तूबर में आरोपमुक्त कर दिया गया था। चावला को प्रत्यर्पित किए जाने पर तिहाड़ जेल में ही रखने की तैयारी थी। जिला न्यायाधीश रेबेका क्रेन ने चावला को आरोप - मुक्त करने के अपने फैसले के लिए यूरोपीय परिषद की यातना रोकथाम समिति (सीपीटी) के निर्वाचित सदस्य और स्कॉटिश कारागार सेवा में स्वास्थ्य देखभाल मामलों के पूर्व प्रमुख डॉ–एलेन मिचेल की गवाही को आधार बनाया था। 

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