ओमप्रकाश राजभर से नहीं हो रहा भाजपा का मोह भंग, अब भी पाले में लाने की कोशिशें जारी

Omprakash Rajbhar
अंकित सिंह । Jan 9 2022 12:23PM

माना जा रहा है कि भाजपा हर हाल में ओमप्रकाश राजभर को अपने खेमे में वापस लाना चाहती है। यही कारण है कि दयाशंकर सिंह बार-बार ओमप्रकाश राजभर से मुलाकात कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक के पिछले 1 महीने में दोनों नेताओं के तीन बार मुलाकात हो चुकी है।

उत्तर प्रदेश में चुनावी तारीखों का ऐलान हो चुका है। इसके साथ ही मान-मनौव्वल का भी दौर शुरू हो गया है। सभी दल अपने गठबंधन को भी मजबूत करने की कोशिश में है। इसी कड़ी में भाजपा एक बार फिर से ओमप्रकाश राजभर को अपने पाले में करने की कोशिश लगातार कर रही है। बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश भाजपा के दिग्गज नेता दयाशंकर सिंह और ओमप्रकाश राजभर के बीच काफी बातचीत चल रही है। हाल में ही शनिवार को भी दोनों नेताओं के बीच लंबी बातचीत हुई है। माना जा रहा है कि भाजपा हर हाल में ओमप्रकाश राजभर को अपने खेमे में वापस लाना चाहती है। यही कारण है कि दयाशंकर सिंह बार-बार ओमप्रकाश राजभर से मुलाकात कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक के पिछले 1 महीने में दोनों नेताओं के तीन बार मुलाकात हो चुकी है।

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ओमप्रकाश राजभर की ओर से लगातार भाजपा में लौटने की खबरों को खारिज की जा रही है। दयाशंकर सिंह से मुलाकात को लेकर ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरुण राजभर ने दावा किया कि वह अपने लिए गठबंधन में सीट पक्की करने आए थे। इसके साथ ही राजभर के बेटे ने यह भी कहा कि दयाशंकर सिंह सुभासपा यानी कि राजभर की पार्टी से चुनाव लड़ना चाहते है। दूसरी ओर सूत्र यह बता रहे हैं कि भले ही ओमप्रकाश राजभर की ओर से कुछ भी कहा जाए लेकिन यह बात सच है कि भाजपा अब भी उन्हें मनाने की कोशिश कर रही है। हालांकि ऐसा लग रहा है कि पेंच अब सीटों को लेकर ज्यादा फंस सकता है। ओमप्रकाश राजभर लगातार भाजपा को इस बात का एहसास दिला रहे हैं कि अखिलेश यादव उन्हें 2 दर्जन से भी ज्यादा सीटें दे रहे हैं। 

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आपको बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश राजभर भाजपा के साथ चुनावी मैदान में उतरे थे। पूर्वांचल में राजभर की अच्छी पकड़ है। ओमप्रकाश राजभर को योगी सरकार में मंत्री भी बनाया गया था। माना जा रहा है कि ओमप्रकाश राजभर की नाराजगी की वजह से पूर्वांचल में भाजपा को बहुत बड़ा नुकसान भी हो सकता है। यही कारण है कि पार्टी अब भी उन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। इसके साथ ही अगर ओमप्रकाश राजभर चुनाव से पहले भाजपा के साथ आते हैं तो कहीं ना कहीं अखिलेश यादव पर पार्टी एक मनोवैज्ञानिक बढ़त जरूर बना लेगी।

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