टीएमसी का आरोप, पंचायत चुनावों के दौरान हिंसा में भाजपा के गुंडे शामिल थे

Narendra Modi
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टीएमसी ने ट्वीट किया कि नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल ने बहुआयामी गरीबी से निपटने में गुजरात को पीछे छोड़ दिया है और स्वास्थ्य, शिक्षा तथा जीवन स्तर के संकेतकों में भाजपा शासित राज्यों से बेहतर प्रदर्शन किया है। मंत्री ने यह भी दावा किया कि केंद्र पर मनरेगा के मद में बंगाल का 7,500 करोड़ रुपये बकाया है। उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री को ‘‘गरीब परिवारों की परवाह’’ है, तो राज्य को तुरंत धनराशि जारी की जाए। टीएमसी ने आरोप लगाया कि भाजपा त्रिपुरा में 2019 के पंचायत चुनावों में हिंसा फैलाने की दोषी थी, जहां पार्टी ने बिना किसी मुकाबले के लगभग 80 प्रतिशत सीट पर जीत हासिल की। टीएमसी ने एक ट्वीट में दावा किया, ‘‘हिंसा और गुंडागर्दी भाजपा के खून में है।

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान पर पलटवार करते हुए शनिवार को आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में जुलाई में पंचायत चुनावों के दौरान हुई हिंसा में राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ता नहीं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ‘‘गुंडे’’ शामिल थे। टीएमसी सरकार के खिलाफ प्रधानमंत्री के आरोप को खारिज करते हुए पश्चिम बंगाल की मंत्री शशि पांजा ने केंद्र की भाजपा नीत सरकार पर विभिन्न योजनाओं के तहत राज्य को उसके वित्तीय बकाये से वंचित करने का आरोप लगाया। प्रधानमंत्री ने भाजपा की पंचायती राज परिषद को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए पंचायत चुनाव के दौरान विपक्ष को डराने के लिए ‘‘आतंक का माहौल बनाने और धमकियां देने’’ को लेकर पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी की आलोचना की थी। पांजा ने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ प्रधानमंत्री के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा, ‘‘क्या इसलिए कि भाजपा पंचायत चुनाव नहीं जीत सकी, आतंक और धमकी का आरोप लगाया जा रहा है? यह भाजपा है, जिसने पश्चिम बंगाल में हिंसा की।’’

राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री पांजा ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘उनके पास मणिपुर जाने का समय नहीं है, लेकिन वह पश्चिम बंगाल में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करने के लिए वक्त निकाल लेते हैं।’’ अविश्वास प्रस्ताव के दौरान वॉकआउट करने के लिए प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए टीएमसी ने सोशल मीडिया पर एक संदेश में कहा, ‘‘मणिपुर पर आपके बोलने के लिए विपक्ष का संसद से वॉकआउट करना जरूरी था।’’ टीएमसी ने दावा किया कि विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद से बाहर जाने से पहले प्रधानमंत्री के संबोधन के दौरान 90 मिनट तक धैर्यपूर्वक इंतजार किया। पांजा ने कहा कि यह झूठ है कि बंगाल में आदिवासियों और दलितों पर अत्याचार हो रहा है। मंत्री ने आरोप लगाया, ‘‘गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों में ही दलितों और आदिवासियों को प्रताड़ित किया जाता है।’’ पांजा ने कहा कि भाजपा अभी भी बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव और 2023 के पंचायत चुनाव की हार स्वीकार नहीं कर पा रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री यह कहकर टीएमसी की जीत को अलग रंग देने की कोशिश कर रहे हैं कि चुनाव के दौरान हिंसा हुई थी।

पांजा ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट ने आयुष्मान भारत और कुछ अन्य केंद्रीय योजनाओं में खामियों की ओर इशारा किया है, प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर कुछ प्रकाश डालना चाहिए। टीएमसी ने ट्वीट किया कि नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल ने बहुआयामी गरीबी से निपटने में गुजरात को पीछे छोड़ दिया है और स्वास्थ्य, शिक्षा तथा जीवन स्तर के संकेतकों में भाजपा शासित राज्यों से बेहतर प्रदर्शन किया है। मंत्री ने यह भी दावा किया कि केंद्र पर मनरेगा के मद में बंगाल का 7,500 करोड़ रुपये बकाया है। उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री को ‘‘गरीब परिवारों की परवाह’’ है, तो राज्य को तुरंत धनराशि जारी की जाए। टीएमसी ने आरोप लगाया कि भाजपा त्रिपुरा में 2019 के पंचायत चुनावों में हिंसा फैलाने की दोषी थी, जहां पार्टी ने बिना किसी मुकाबले के लगभग 80 प्रतिशत सीट पर जीत हासिल की। टीएमसी ने एक ट्वीट में दावा किया, ‘‘हिंसा और गुंडागर्दी भाजपा के खून में है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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