CJI के खिलाफ आरोप: पूर्व महिला कर्मचारी आंतरिक जांच समिति के समक्ष पेश हुई

charges-against-cji-former-women-staff-appeared-to-internal-inquiry-committee
[email protected] । Apr 27 2019 9:56AM

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि शिकायतकर्ता पूर्व कर्मचारी और उच्चतम न्यायालय के सेक्रेटरी जनरल समिति के समक्ष पेश हुये। समिति ने सेक्रेटरी जनरल को इस मामले से संबंधित सारे दस्तावेज और सामग्री के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया था।

नयी दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली उच्चतम न्यायालय की पूर्व कर्मचारी शुक्रवार को न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली आंतरिक जांच समिति के समक्ष पेश हुयी और अपना बयान दर्ज कराया। समझा जाता है कि अगली सुनवाई सोमवार को होगी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की समिति ने शुक्रवार को चैंबर में अपनी पहली बैठक की। इस बैठक में समिति की अन्य सदस्य न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी भी उपस्थित थी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि शिकायतकर्ता पूर्व कर्मचारी और उच्चतम न्यायालय के सेक्रेटरी जनरल समिति के समक्ष पेश हुये। समिति ने सेक्रेटरी जनरल को इस मामले से संबंधित सारे दस्तावेज और सामग्री के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया था। सूत्रों ने बताया कि समिति ने शिकायतकर्ता का पक्ष सुना। 

इसे भी पढ़ें: CJI रंजन गोगोई के खिलाफ साजिश के दावों की जांच न्यायमूर्ति एके पटनायक करेंगे

सूत्र ने कहा कि कार्यवाही दोपहर करीब साढे बारह बजे शुरू हुई और करीब तीन घंटे चलकर साढे तीन बजे खत्म हुई जिस दौरान महिला ने बयान दर्ज कराया। सुनवाई के दौरान सिर्फ महिला उपस्थित थी।  यौन उत्पीड़न आरोपों की समिति द्वारा की जा रही आंतरिक जांच, अदालत द्वारा नियुक्त पूर्व न्यायाधीश ए के पटनायक समिति द्वारा की जा रही जांच से अलग है।सीजेआई को फंसाने की व्यापक साजिश और पीठों की फिक्सिंग के बारे में एक वकील के दावे की जांच पटनायक समिति करेगी।

न्यायमूर्ति बोबडे ने 23 अप्रैल को पीटीआई-भाषा को बताया था कि आंतरिक प्रक्रिया में पक्षकारों की ओर से वकीलों के प्रतिनिधित्व की व्यवस्था नहीं है क्योंकि यह औपचारिक रूप से न्यायिक कार्यवाही नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया था कि इस जांच को पूरा करने के लिये कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है और इसकी कार्रवाई का रुख जांच के दौरान सामने आने वाले तथ्यों पर निर्भर करेगा। न्यायमूर्ति बोबडे ने आंतरिक जांच के लिये इसमें न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी को शामिल किया था। 

इसे भी पढ़ें: CJI मामला: रंजन गोगोई को फंसाने की साजिश के आरोपों की जांच के लिये समिति गठित

हालांकि, शिकायतकर्ता ने एक पत्र लिखकर समिति में न्यायमूर्ति रमण को शामिल किये जाने पर आपत्ति जताई थी। पूर्व कर्मचारी का कहना था कि न्यायमूर्ति रमण प्रधान न्यायाधीश के घनिष्ठ मित्र हैं और अक्सर ही उनके आवास पर आते जाते हैं। यही नहीं, शिकायतकर्ता ने विशाखा मामले में शीर्ष अदालत के फैसले में निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुरूप समिति में महिलाओं के बहुमत पर जोर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि समिति की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही न्यायमूर्ति रमण ने खुद को इससे अलग कर लिया।इसके बाद, न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा को इस समिति में शामिल किया गया। इस तरह समिति में अब दो महिला न्यायाधीश हैं।

शिकायतकर्ता महिला दिल्ली में प्रधान न्यायाधीश के आवासीय कार्यालय में काम करती थी। उसने एक हलफनामे में प्रधान न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का आरेाप लगाते हुये इसे उच्चतम न्यायालय के 22 न्यायाधीशों के आवास पर भेजा था। इसी हलफनामे के आधार पर चार समाचार पोर्टलों ने कथित यौन उत्पीड़न संबंधी खबर भी प्रकाशित की थी। महिला ने अपने हलफनामे में न्यायमूर्ति गोगोई के प्रधान न्यायाधीश नियुक्त होने के बाद कथित उत्पीड़न की दो घटनाओं का जिक्र किया था। प्रधान न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न के आरोप की खबरें सामने आने पर शीर्ष अदालत ने 20 अप्रैल को ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता से संबंधित अत्यधिक महत्व का सार्वजनिक मामला’ शीर्षक से सूचीबद्ध विषय के रूप में अभूतपूर्व तरीके से सुनवाई की थी।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़