LAC पर भगाया तो चीन को भाईचारा याद आया, एक-दूसरे पर संदेह छोड़ द्विपक्षीय सहयोग पर जोर

China
अभिनय आकाश । Mar 8 2021 12:55PM

सालाना होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीन के विदेश मंत्री से जब भारत-चीन के रिश्तों पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमें एक-दूसरे पर शक करने कि बजाय आपसी सहयोग को आगे बढ़ाना चाहिए।

बॉर्डर पर मुंह की खाने के  बाद चीन को हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा याद आया है। चीन के विदेश ने कहा है कि दोस्त होने के नाते भारत और चीन को एक-दूसरे के साथ खड़ा होना चाहिए। पिछले साल अप्रैल से एलएसी पर आंखे दिखाने वाले चीन को जब भारतीय सैनिकों के पराक्रम से पीछे लौटना पड़ा तो चीन को अब दोस्ती याद आ रही है। सालाना होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीन के विदेश मंत्री से जब भारत-चीन के रिश्तों पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमें एक-दूसरे पर शक करने कि बजाय आपसी सहयोग को आगे बढ़ाना चाहिए। 

एक-दूसरे पर संदेह करना छोड़ द्विपक्षीय सहयोग विस्तार करना चाहिए

बीजिंग में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन और भारत को सीमा मुद्दे के हल के लिए एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाना और आपस में संदेह करना छोड़ देना चाहिए तथा द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार कर अनुकूल माहौल बनाना चाहिए। वांग ने चीन और भारत के बीच संबंध के लिए सीमा विवाद के ही पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं होने का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देश मित्र एवं साझेदार हैं, लेकिन उन्हें एक दूसरे पर संदेह करना छोड़ देना चाहिए। 

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दोनों देश अपने विवादों का निपटारा करें 

पिछले साल मई में पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध होने के बाद से भारत-चीन संबंधों की मौजूदा स्थिति और संबंधों के आगे बढ़ने के प्रति चीन के नजरिये पर अपने वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में कहा कि यह जरूरी है कि दोनों देश अपने विवादों का निपटारा करें और द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार करें। उन्होंने कहा, ‘‘सीमा विवाद, इतिहास की देन है, यह चीन-भारत संबंध के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं है।’’ स्टेट काउसंल का भी प्रभार संभाल रहे वांग ने अपने लंबे जवाब में चीन की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के वार्षिक सत्र से अलग संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यह जरूरी है कि दोनों पक्ष विवादों का उपयुक्त निपटारा करें और साथ ही सहयोग बढ़ाएं, ताकि मुद्दों के हल के लिए अनुकूल स्थिति बन सके। 

10 महीने के डोज में होश ठिकाने आ गए?

अपनी सेना और हर साल बढ़ते रक्षा बजट के ताव में चीन दोस्ती कम और ताकत की अकड़ दिखाता रहा है। पिछले दस महीनों में लद्दाख बॉर्डर पर चीन यही करता रहा था। चीन की विस्तारवादी नीति चाल की वजह से गलवान से लेकर पैंगौंग त्से के इलाके में 10 महीने से ज्यादा वक्त तक तनाव रहा। युद्ध की स्थिति बनी रही। झड़पे तक हुई। आखिरकारी दस दौर की बातचीत के बाद चीन को ये लग गया कि आज का भारत 1962 वाला नहीं। उसे पैंगौंग से लेकर उत्तरी और दक्षिणी किनारे से पीछे हटना ही पड़ा और अब चीन के विदेश मंत्री का ये बयान सामने आया। विदेश मंत्री जयशंकर के साथ टेलीफोन पर 75 मिनट तक हुई उनकी बातचीत के कुछ दिनों बाद सीमा मुद्दे पर वांग की यह टिप्पणी आई है। जयशंकर ने इस बातचीत के दौरान जोर देते हुए कहा था कि सीमा पर शांति एवं स्थिरता के लिए तथा द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाना जरूरी है। 

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