CLAT 2018: उच्चतम न्यायालय का काउंसलिंग के पहले दौर में हस्तक्षेप से इंकार

CLAT 2018: Compensatory Marks For Technical Glitches, Says Supreme Court
[email protected] । Jun 13 2018 12:43PM

उच्चतम न्यायालय ने क्लैट परीक्षा के बाद देश के प्रतिष्ठित 19 विधि संस्थानों में दाखिले के लिए चल रही काउंसलिंग के पहले दौर में हस्तक्षेप करने से आज इनकार कर दिया।

उच्चतम न्यायालय ने क्लैट परीक्षा के बाद देश के प्रतिष्ठित 19 विधि संस्थानों में दाखिले के लिए चल रही काउंसलिंग के पहले दौर में हस्तक्षेप करने से आज इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की अवकाशकालीन पीठ ने कोच्चि स्थित नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एडवांस्ड लीगल स्टडीज (एनयूएएलएस) को निर्देश दिया कि वह क्लैट परीक्षा 2018 में तकनीकी खामियों का सामना करने वाले छात्रों को अतिरिक्त अंक देने की प्रक्रिया 15 जून तक पूरी करे।

पीठ ने एनयूएएलएस को निर्देश दिया कि वह दो सदस्यीय शिकायत निवारण समिति (जीआरसी) द्वारा सुझाए गए फॉर्मूले के आधार पर 16 जून तक संशोधित सूची जारी करे और योग्य छात्रों को काउंसलिंग के दूसरे दौर में शामिल करे। शीर्ष अदालत ने 11 जून को साझा विधि प्रवेश परीक्षा (क्लैट) 2018 में तकनीकी खामियों की शिकायतों पर पुन: परीक्षा कराने या देश के 19 प्रतिष्ठित लॉ कॉलेजों में दाखिले के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया पर रोक लगाने का निर्देश देने से इनकार कर दिया था। परीक्षा 13 मई को हुई थी।

अदालत ने जीआरसी को शिकायतें देखने और परीक्षा के दौरान छात्रों को हुए वक्त के नुकसान की भरपाई के लिए सामान्यीकरण फॉर्मूला लागू करने का निर्देश दिया था। समिति ने सुझाव दिया था तकनीकी खामियों की वजह से जिन छात्रों को वक्त का नुकसान हुआ है, उन्हें उसकी एवज में अतिरिक्त अंक दिए जा सकते हैं जिस पर ऑनलाइन परीक्षा के दौरान उनकी ओर से दिए गए कुल सही और गलत उत्तरों के डेटा को देखने के बाद फैसला किया जाएगा। करीब 54,450 अभ्यार्थियों ने 258 केंद्रों पर क्लैट की परीक्षा दी थी। एनयूएएलएस ने निजी कंपनी मैसर्स सिफी टेक्नॉलोजीस लिमिटेड की मदद से क्लैट परीक्षा का आयोजन कराया था। यह परीक्षा देश के प्रतिष्ठित विधि कॉलेजों में स्नातक और परास्नातक कार्यक्रमों में दाखिले के लिए होती है।

एनयूएएलएस ने शीर्ष अदालत के निर्देश के बाद, शिकायतों पर गौर करने के लिए दो सदस्य समिति गठित की थी। इससे पहले, छह जून को अदालत ने काउंसलिंग प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि मामले में कोई भी कदम शीर्ष अदालत के आदेश के बाद ही उठाया जा सकेगा। 13 मई को हुई परीक्षा के फौरन बाद देश के छह उच्च न्यायालयों और शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई थीं और आरोप लगाया गया था कि ऑनलाइन परीक्षा के दौरान विसंगतियां और तकनीकी खामियां आईं थी और मांग की गई थी कि परीक्षा को रद्द कर दिया जाए।

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