विश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले मुख्यमंत्री का इस्तीफा, पुडुचेरी में गिरी कांग्रेस सरकार
उन्होंने कहा कि इस्तीफे पर फैसला करना अब उपराज्यपाल के विवेक पर है। हालांकि उन्होंने अपनी आगे की रणनीति पर कोई जवाब नहीं दिया। नारायणसामी ने विधानसभाध्यक्ष पर निशाना साधते हुए आश्चर्य व्यक्त किया कि उन्होंने विश्वास प्रस्ताव को मतविभाजन के लिए क्यों नहीं रखा।
गौरतलब है कि विपक्ष ने पिछले सप्ताह उन्हें आवेदन देकर कहा था कि विधायकों के इस्तीफे के कारण सरकार अल्पमत में आ गई है। रविवार को दो और विधायकों के इस्तीफे के बाद पिछले कुछ दिन में सत्ता पक्ष से इस्तीफा देने वालों की संख्या तीन हो गई थी। वहीं पूरे एक महीने में कांग्रेस-द्रमुक सत्ता पक्ष से कुल छह लोगों ने इस्तीफा दिया है। रविवार को कांग्रेस सदस्य के. लक्ष्मीनारायणन और द्रमुक सदस्य के. वेंकटेशन ने इस्तीफा दिया था। फिलहाल सदन में सदस्य संख्या के हिसाब से पार्टियों की स्थिति कुछ इस प्रकार है... कांग्रेस (विधानसभा अध्यक्ष सहित नौ), द्रमकु (दो), ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस (सात), अन्नाद्रमुक (चार) भाजपा (तीन, सभी मनोनीत सदस्य, मताधिकार के साथ) और एक निर्दलीय (जो सरकार के साथ थे)। सदन में सात सीटें खाली हैं। इस्तीफा देने वालों में पूर्व मंत्री ए. नमशिवाय (अब भाजपा में) और मल्लाडी कृष्ण राव शामिल हैं। नारायणसामी ने सोमवार को नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार और पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी पर हमला बोला। सदन में मनोनीत सदस्यों के मताधिकार के मुद्दे पर बहस के बाद उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ विधानसभा से वाक आउट किया। इसके बाद विधानसभाध्यक्ष ने घोषणा की कि सुबह मुख्यमंत्री द्वारा पेश किया गया विश्वास मत प्रस्ताव नामंजूर हो गया है। हालांकि इस पर ध्वनि मत या मतविभाजन से विधायकों की राय नहीं ली गयी। नारायणसामी ने बाद में कहा, ‘‘सिर्फ निर्वाचित सदस्य ही सदन में मतदान कर सकते हैं, हमारे इस विचार को विधानसभा अध्यक्ष ने स्वीकार नहीं किया। इसलिए हमने सदन से बहिर्गमन किया और उपराज्यपाल से भेंट करके अपना और मंत्रिमंडल का इस्तीफा सौंप दिया।’’We formed the government with the support of DMK and independent MLAs. After that, we faced various elections. We have won all the by-elections. It is clear that people of Puducherry trust us: Puducherry CM V.Narayanasamy in assembly pic.twitter.com/mrnsN2xxFh
— ANI (@ANI) February 22, 2021
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उन्होंने कहा कि इस्तीफे पर फैसला करना अब उपराज्यपाल के विवेक पर है। हालांकि उन्होंने अपनी आगे की रणनीति पर कोई जवाब नहीं दिया। नारायणसामी ने विधानसभाध्यक्ष पर निशाना साधते हुए आश्चर्य व्यक्त किया कि उन्होंने विश्वास प्रस्ताव को मतविभाजन के लिए क्यों नहीं रखा। उन्होंने जोर दिया कि मनोनीत सदस्यों के पास मतदान का अधिकार नहीं था। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष के सचेतक आर के आर आनंदरामन ने अध्यक्ष के साथ मतदान के अधिकार का मुद्दा उठाया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा, ‘‘और जब उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया तो मैंने कहा कि हम वाक आउट कर रहे हैं और उपराज्यपाल से मिलने और इस्तीफा सौंपने जा रहे हैं। लेकिन वाकआउट के बाद अध्यक्ष ने प्रस्ताव को नामंजूर बताया। उन्होंने नियमों का पालन नहीं किया ... मतविभाजन होना चाहिए था। भले ही हमने वाक आउट किया था लेकिन विधानसभाध्यक्ष को मत विभाजन कराना चाहिए था।’’ नारायणसामी ने कहा, उन्होंने प्रक्रिया का पालन नहीं किया। इसलिए विधानसभाध्यक्ष का फैसला गलत और अमान्य है। यह एक कानूनी मुद्दा है। इसलिए विशेषज्ञों से राय ली जाएगी।’’ इससे पहले विश्वास प्रस्ताव पेश करते हुए नारायणसामी ने केंद्र सरकार और यहां विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे केंद्रशासित प्रदेश में चुनी हुई सरकार द्वारा प्रस्तावित कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन को बाधित करने के जिम्मेदार हैं। उन्होंने किरण बेदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने राजस्व सृजन सहित विभिन्न मामलों में सरकार के खिलाफ साजिश की।
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