Bangalore Rural में Devegowda के दामाद CN Manjunath ने DK Shivakumar के भाई Suresh की राह में बड़ी बाधा खड़ी कर दी है

CN Manjunath DK Shivakumar
Prabhasakshi

हमने अपनी चुनाव यात्रा के तहत जब इस जगह का दौरा किया तो अधिकांश सड़कों को खराब हालत में पाया। इस ग्रामीण क्षेत्र में पीने का साफ पानी नहीं मिलना एक बड़ी समस्या है। लोगों ने बताया कि कर्नाटक में कांग्रेस ने पांच गारंटियों की बात जरूर की थी लेकिन वह सब हवा-हवाई ही रही।

कर्नाटक में लोकसभा चुनावों के बाद बड़ा राजनीतिक बवाल होने के आसार दिख रहे हैं। दरअसल हमने अपनी चुनाव यात्रा के दौरान पाया कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच का तनाव जमीन पर महसूस किया जा सकता है। बेंगलुरु ग्रामीण संसदीय क्षेत्र से डीके शिवकुमार के भाई डीके सुरेश पिछले 15 साल से सांसद हैं। 2014 और 2019 की मोदी लहर में भी वह बेंगलुरु ग्रामीण क्षेत्र से जीतने में सफल रहे थे। लेकिन इस बार उनके खिलाफ नाराजगी साफ महसूस की जा सकती है। कहा जा रहा है कि यदि डीके सुरेश चुनाव हारते हैं तो यह डीके शिवकुमार के लिए बड़ा झटका होगा और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के लिए बड़ी राहत होगी। लेकिन डीके शिवकुमार भी पूरी तल्लीनता के साथ अपने भाई को जिताने में लगे हुए हैं। क्षेत्र में तमाम तरह के सामान बांटे जाने संबंधी चर्चा हमने लोगों से सुनी, खुद डीके शिवकुमार का भी एक बयान सुर्खियों में आया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की जनसभा भी इस क्षेत्र में कराई गयी लेकिन फिर भी जनता इस बार बदलाव के मूड़ में दिखी और अधिकांश लोगों का कहना था कि डीके सुरेश क्षेत्र में दिखते ही नहीं हैं।

हमने अपनी चुनाव यात्रा के तहत जब इस जगह का दौरा किया तो अधिकांश सड़कों को खराब हालत में पाया। इस ग्रामीण क्षेत्र में पीने का साफ पानी नहीं मिलना एक बड़ी समस्या है। लोगों ने बताया कि कर्नाटक में कांग्रेस ने पांच गारंटियों की बात जरूर की थी लेकिन वह सब हवा-हवाई ही रही। लोगों ने कहा कि हमारा बिजली बिल माफ नहीं हुआ, ना ही कम हुआ। दुग्ध उत्पादकों का कहना था कि हमारे से जो वादे किये गये थे वह भी पूरे नहीं हुए इसलिए हम इस बार बदलाव लाएंगे। हमने अपनी यात्रा के दौरान यह महसूस किया कि इस क्षेत्र में भाजपा और जनता दल सेक्युलर का गठबंधन होने का काफी असर नजर आ रहा है क्योंकि एक तो इस इलाके में देवेगौड़ा परिवार का प्रभाव माना जाता है। दूसरा भाजपा उम्मीदवार देवेगौड़ा परिवार से ही हैं और वह जिस तरह अपने सेवा कार्यों की बदौलत इस क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं उसका फायदा उन्हें चुनावों में हो सकता है। लोगों ने हमसे यह भी कहा कि एक ओर जहां डॉ. मंजूनाथ बड़ी सौम्यता से व्यवहार करते हैं वहीं डीके सुरेश थोड़े अख्खड़ स्वभाव के हैं।

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हम आपको बता दें कि बेंगलुरु ग्रामीण के अंतर्गत आने वाले चेन्नापटना विधानसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री और जनता दल सेक्युलर के नेता एचडी कुमारस्वामी विधायक हैं। इस क्षेत्र में जद-एस का काफी प्रभाव माना जाता है। इस बार भाजपा और जद-एस मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं इसलिए सीट बंटवारे के तहत यह सीट भाजपा के खाते में आई है। भाजपा ने यहां से देश के मशहूर हृदय चिकित्सक सीएन मंजूनाथ को अपना उम्मीदवार बनाया है। डॉ. सीएन मंजूनाथ पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के दामाद और एचडी कुमारस्वामी के बहनोई हैं। इसलिए भले डॉ. मंजूनाथ भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन वह देवेगौड़ा परिवार के सदस्य ही हैं। जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के जो हालात हैं उसको देखते हुए इसे एक डॉक्टर की जरूरत है और मैं इस क्षेत्र के सांसद के नाते यहां सभी समस्याएं सुलझाने के लिए तैयार हूँ।

दूसरी ओर, हाल ही में भाजपा ने डीके शिवकुमार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए उन्हें कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची से बाहर कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की थी। भाजपा का आरोप था कि डीके शिवकुमार ने बेंगलुरु दक्षिण और राजराजेश्वरीनगर विधानसभा क्षेत्रों में अपार्टमेंट निवासियों से कावेरी जल आपूर्ति तथा अन्य कार्यों के बदले में सुरेश को वोट देने के लिए कहा था।

हम आपको बता दें कि बेंगलुरु ग्रामीण संसदीय क्षेत्र में 8 विधानसभा क्षेत्र- कुनिगल, अनेकल, मगदी, रामानगरम, कनकपुरा, चन्नापटना, राजराजेश्वरीनगर और बेंगलुरु दक्षिण शामिल हैं। बेंगलुरु ग्रामीण में 26 अप्रैल को मतदान होगा। कांग्रेस के डीके सुरेश ने 2019 के संसदीय चुनाव में बीजेपी के अश्वथनारायणगौड़ा को हराया था। उस चुनाव में कांग्रेस को 54.15% और भाजपा को 41.4% वोट मिले थे। देखना होगा कि बेंगलुरु ग्रामीण संसदीय क्षेत्र से क्या डीके सुरेश जीत का चौका लगा पाते हैं या इस बार इस क्षेत्र में कमल खिलता है। बहरहाल, एक बात तो साफ है कि यदि डीके सुरेश हारे तो उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं और यदि डीके सुरेश जीते तो अपनी बढ़ी हुई ताकत को देखते हुए भी डीके शिवकुमार मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे ही। जाहिर है, लोकसभा चुनावों के बाद कर्नाटक की राजनीति में नया घटनाक्रम देखने को मिल सकता है।

-नीरज कुमार दुबे

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