कांग्रेस ने हमेशा ही संवैधानिक संस्थाओं का अनादर किया: भाजपा
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लेखी ने कहा कि कानून के शासन को वंशवाद के शासन के साथ भ्रमित नहीं किया जा सकता है। कांग्रेस ने इस बार किसी व्यक्ति पर नहीं बल्कि न्याय देने वाली देश की सर्वोच्च संस्था पर आघात किया है।
नयी दिल्ली। भारत के प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग का नोटिस लाने के लिए कांग्रेस पर निशाना साधते हुए भाजपा ने आज कहा कि कांग्रेस ने हमेशा ही संवैधानिक संस्थानों का अनादर किया और न्याय देने वाली देश की सर्वोच्च संस्था पर आघात उसकी गंदी राजनीति का प्रमाण है। भाजपा प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस ने हमेशा देश के संस्थानों का दुरूपयोग किया है। हम उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति को धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने अपने कार्यालय का दुरूपयोग नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि न्यापालिका एक ऐसी संस्था है जिसका सभी सम्मान करते हैं और इनकी स्वतंत्रता को बनाये रखने की जरूरत है। लेकिन कांग्रेस पार्टी ने बार-बार संस्थागत बाधा डालने वाली भूमिका निभायी और गंदी राजनीति करने का प्रयास किया।
लेखी ने कहा कि कानून के शासन को वंशवाद के शासन के साथ भ्रमित नहीं किया जा सकता है। कांग्रेस ने इस बार किसी व्यक्ति पर नहीं बल्कि न्याय देने वाली देश की सर्वोच्च संस्था पर आघात किया है। महाभियोग का नोटिस अस्वीकार होने का जिक्र करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि इससे प्रदर्शित होता है कि कांग्रेस को कानून का ज्ञान नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस देखना चाहती थी कि उसके साथ कितने लोग खड़े हैं। भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने बाबा साहब अंबेडकर के कार्यो का श्रेय लेने का प्रयास किया और गलतबयानी की। कांग्रेस ने चुनाव आयोग की छवि दुनिया में खराब करने का प्रयास किया। उन्होंने आरोप लगाया कि देश में आपातकाल लगाकर कांग्रेस पार्टी ने अपने शासनकाल में लोकतंत्र को खतरे में डालने का काम किया।
संसद में 15 मिनट बोलने देने संबंधी राहुल गांधी के बयान के बारे में पूछे जाने पर लेखी ने कहा कि अपनी पार्टी की सरकार के दौरान लगातार चुप रहने वाले अब 15 मिनट बोलने देने की बात कर रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने देश के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू द्वारा खारिज किये जाने के फैसले को आज '‘असंवैधानिक और गैरकानूनी'’ करार दिया और इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जाएगी।
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