न्यायालय ने एक महिला को 11 वर्षीय बेटे को उसके पिता को सौंपने का निर्देश दिया

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सी. टी. रविकुमा रविकुमार ने फैसला लिखते हुए कहा, विचाराधीन बच्चा एक लड़का है, जो अब लगभग 11 वर्ष का हो चुका है। वह अमेरिकी पासपोर्ट धारक और अमेरिकी नागरिक है। उसके माता-पिता यानी अपीलकर्ता और प्रतिवादी नंबर 3 स्थायी अमेरिकी निवासी कार्ड धारक हैं। इन पहलुओं पर उचित ध्यान नहीं दिया गया।

नयी दिल्ली, 30 जुलाई। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को बेंगलुरु की रहने वाली एक महिला को 11 वर्षीय बेटे को उसके पिता को सौंपने और उसकी अमेरिका वापसी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, जो उसकी जन्मभूमि है। न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें अमेरिका में रहने वाले पिता को लड़के को सौंपने से इनकार कर दिया गया था।

न्यायमूर्ति रविकुमार ने फैसला लिखते हुए कहा, विचाराधीन बच्चा एक लड़का है, जो अब लगभग 11 वर्ष का हो चुका है। वह अमेरिकी पासपोर्ट धारक और अमेरिकी नागरिक है। उसके माता-पिता यानी अपीलकर्ता और प्रतिवादी नंबर 3 स्थायी अमेरिकी निवासी कार्ड धारक हैं। इन पहलुओं पर उचित ध्यान नहीं दिया गया।

अदालत ने अपने आदेश में कहा, प्रतिवादी संख्या 3 (मां) यह सुनिश्चित करे कि बच्चा तुरंत अमेरिका वापस जाए।प्रतिवादी संख्या 3 के साथ-साथ अपीलकर्ता (पिता) अपने बच्चे को अमेरिका वापस ले जानेलिए कानून के अनुसार आवश्यक कदम उठाए। फैसले के अनुसार, दंपति की 2008 में भारत में शादी हुई थी और बाद में वे अमेरिका चले गए और उन्हें ग्रीन कार्ड मिल गए। बाद में, रिश्ते में खटास आ गई और बच्चे को पिता की सहमति के बिना मां भारत ले आई थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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