न्यायालय ने अर्णब गोस्वामी को दंडात्मक कार्रवाई से तीन सप्ताह के लिये दिया संरक्षण
पीठ ने विभिन्न राज्यों में दर्ज प्राथमिकी पर रोक लगाने के साथ ही नागपुर में दर्ज मानहानि का मुकदमा मुंबई की अदालत में स्थानांतरित कर दिया और इसे गोस्वामी द्वारा दायर करायी गयी प्राथमिकी के साथ जोड़ दिया।
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने रिपब्लिक टीवी के मुख्य संपादक अर्णब गोस्वामी को तीन सप्ताह के लिये किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई से शुक्रवार को तीन सप्ताह के लिये संरक्षण प्रदान कर दिया। यह संरक्षण महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की भीड़ द्वारा हत्या किये जाने से संबंधित कार्यक्रम में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिये कथित अपमानजनक बयानों के कारण उनके खिलाफ कई राज्यों में प्राथमिकी दर्ज कराये जाने के मामले में दिया गया है। न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिग के माध्यम से सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगीकी दलीलों का संज्ञान लिया और कहा कि अर्नब गोस्वामी को ‘‘ न्यूज चैनलों पर प्रसारित कथित अपमानजनक कार्यक्रमों के मामले में किसी भी दंडात्मक कदमों से संरक्षण प्राप्त होगा।’’ पीठ ने यह भी कहा कि गोस्वामी तीन सप्ताह के बाद इन प्राथमिकी के सिलसिले में अग्रिम जमानत के लिये दायर कर सकते हैं और उन्हें जांच एजेन्सी के साथ सहयोग करना चाहिए। न्यायालय ने अर्नब को अपनी याचिका में संशोधन करके उनके खिलाफ शिकायतें दायर करने वाली सभी शिकायतकर्ताओं को शीर्ष अदालत में प्रतिवादी बनाने की अनुमति दे दी। न्यायालय ने इन सभी प्राथमिकी को एकसाथ करने का अनुरोध करने की अनुमति प्रदान कर दी। पीठ ने विभिन्न राज्यों में दर्ज प्राथमिकी पर रोक लगाने के साथ ही नागपुर में दर्ज मानहानि का मुकदमा मुंबई की अदालत में स्थानांतरित कर दिया और इसे गोस्वामी द्वारा दायर करायी गयी प्राथमिकी के साथ जोड़ दिया।
अर्नब गोस्वामी ने कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं द्वारा उन पर किये गये कथित हमले के सिलसिले में यह प्राथमिकी दर्ज करायी है। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही गोस्वामी की याचिका पर महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, जम्मू कश्मीर और तेलंगाना राज्यों को नोटिस भी जारी किये हैं। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि पालघर घटना से संबंधित कार्यक्रम को लेकर गोस्वामी के खिलाफ अब किसी भी नयी प्राथमिकी पर जांच नहीं की जायेगी। गोस्वामी ने अपनी याचिका में कहा है कि जो प्राथमिकी पहले दर्ज की जा चुकी हैं और अभी जिनकी अपेक्षा है, सभी रिपब्लिक टीवी पर 16 अप्रैल और आर भारत पर 21 अप्रैल को प्रसारित कार्यक्रम से संबंधित हैं जो भारत में कोविड-19 के मामलों की जांच के उपायों और पालघर में 16 अप्रैल को तीन व्यक्तियों की भीड़ द्वारा की गयी हत्या के बारे में कांग्रेस के एक सदस्य की टिप्पणी के सिलसिले में थी। सुनवाई के दौरानगोस्वामी की ओर से मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा कि अर्नब और उनके चैनल ने पालघर में साधुओं की पीट पीट कर हत्या के मामले को उठाया था और अपने कार्यक्रम में वह सवाल उठा रहे थे कि इस मामले में पुलिस क्या कर रही थी। रोहतगी ने दलील दी कि मानहानि की शिकायत कोई दूसरा नहीं बल्कि इससे प्रभावित व्यक्ति ही दायर कर सकता है। रोहतगी ने कहा कि ये सारी प्राथमिकी कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दायर की हैं और ये कांग्रेस मुखिया की कथित मानहानि पर मूल रूप से आधारित हैं। साथ ही उन्होंने गोस्वामी और उनकी पत्नी पर मुंबई में हुये हमले की ओर भी पीठ का ध्यान आकर्षित किया और कहा कि यह प्रेस की आजादी पर हमला था।Supreme Court stays all FIRs against Arnab Goswami except one which was filed in Nagpur and which has now been transferred to Mumbai. SC also directs Mumbai Police Commissioner to provide security to Arnab Goswami and Republic TV https://t.co/klkeYWHKvr
— ANI (@ANI) April 24, 2020
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महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने समाचार कार्यक्रम में गोस्वामी के बयानों का जिक्र करते हुये कहा कि क्या यही बोलने की आजादी है। उन्होंने अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर किये जाने पर भी सवाल उठाया और कहा कि पुलिस को गोस्वामी के खिलाफ दायर शिकायतों की जांच की अनुमति दी जानी चाहिए और उन्हे किसी प्रकार का संरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि चूंकि गोस्वामी के खिलाफ कई राज्यों में अलग अलग प्राथमिकी दायर की गयी हैं, इसलिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर करने का आधार बनता है। छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने दावा किया कि यह प्रसारण लाइसेंस के दुरूपयोग का मामला है और उन्होंने गोस्वामी को इस तरह के बयान देने से रोकने का अनुरोध किया इस पर न्यायमूर्ति चन्द्रचूड़ ने कहा, ‘‘मीडिया पर कोई निषेध नहीं होना चाहिए। मैं मीडिया पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध लगाने खिलाफ हूं।’’ रोहतगी ने कहा कि गोस्वामी राजनीतिक व्यक्ति नहीं है और उन्हें इन शिकायतों और प्राथमिकी के मामलों में दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण दिया जाना चाहिए। अर्नब ने अधिवक्ता प्रज्ञा बघेल के माध्यम से दायर इस याचिका में इन प्राथमिकी को निरस्त करने और दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान करने और किसी भी शिकायत पर किसी अदालत द्वारा संज्ञान नहीं लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। यही नहीं,उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों ओर चैनल के सहयोगियों के लिये सुरक्षा का भी अनुरोध किया है।अन्य न्यूज़