अदालत ने एसटी का दर्जा रद्द करने को चुनौती देने संबंधी असम के सांसद की याचिका खारिज की

Guwahati High Court
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सरनिया 2014 से एक निर्दलीय के रूप में संसद के निचले सदन में कोकराझार (सुरक्षित) निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने घोषणा की थी कि जब सात मई को मतदान होगा तो वह उसी सीट से लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ेंगे।

 गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को दो बार के सांसद नब सरनिया की रिट याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में राज्य स्तरीय जांच समिति (एसएलएससी) के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उनके अनुसूचित जनजाति (मैदानी) दर्जे को रद्द कर दिया गया था।

असम के महाधिवक्ता देवजीत सैकिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि न्यायमूर्ति एस. के. मेधी की एकल पीठ ने यह आदेश दिया। सैकिया ने कहा, ‘‘अदालत ने उनकी रिट याचिका खारिज कर दी, और उन्हें कोई और राहत नहीं दी। उन्हें एसटी या अन्य श्रेणियों के लिए आरक्षित किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने से रोक दिया।’’

सरनिया 2014 से एक निर्दलीय के रूप में संसद के निचले सदन में कोकराझार (सुरक्षित) निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने घोषणा की थी कि जब सात मई को मतदान होगा तो वह उसी सीट से लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ेंगे।

सरनिया ने एक याचिका में 12 जनवरी, 2024 के एसएलएससी के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत उन्हें एसटी (पी) श्रेणी से संबंधित नहीं माना गया था। सरनिया ने दलील दी कि वह बोड़ो कछारी समुदाय से हैं, जिसने एसटी (पी) का दर्जा अधिसूचित किया है, और उसी समुदाय के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सदस्य हैं। इससे पहले तीन अप्रैल को, गुवाहाटी उच्च न्यायालय की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने रिट याचिका में सरनिया को दी गई प्रारंभिक राहत को रद्द कर दिया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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