कोविड-19: सरकार ने कहा- शहर से गांव जा रहे 10 में से 3 कामगार हो सकते हैं वायरस के वाहक

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उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से एक दिन पहले ही 21 दिन के देशव्यापी बंद के लागू होने के बाद कामगारों के शहरों से बड़े पैमाने पर पैदल ही अपने मूल निवास स्थान की ओर जाने को रोकने के लिये उठाए गए कदमों पर स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।

नयी दिल्ली। केंद्र ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि कोई प्रवासी कामगार सड़क पर नहीं है। ऐसी आशंकाएं जाहिर की जा रही थीं कि बड़े पैमाने पर हो रहे प्रवासी कामगारों के पलायन से कोविड-19 का व्यापक प्रसार हो सकता है। सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने ऐसे पलायन (शहरों से गांव की ओर) की इजाजत नहीं दिये जा सकने का जिक्र करते हुए प्रधान न्यायाधीश एस ए बोब्डे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ को बताया, “इस बात की संभावना है कि शहर से गांव की ओर जा रहे 10 में से तीन लोग वायरस के वाहक हों।”

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उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से एक दिन पहले ही 21 दिन के देशव्यापी बंद के लागू होने के बाद कामगारों के शहरों से बड़े पैमाने पर पैदल ही अपने मूल निवास स्थान की ओर जाने को रोकने के लिये उठाए गए कदमों पर स्थिति रिपोर्ट मांगी थी। केंद्र की तरफ से पेश हुए मेहता ने बताया कि कोरोना वायरस से ग्रामीण भारत अब तक प्रभावित नहीं हुआ है और राज्यों को अंतरराज्यीय आवाजाही को पूरी तरह रोकने के लिये परामर्श जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा, “हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि किसी तरह की आवाजाही न हो। यह उनके लिये और गांवों की आबादी के लिये जोखिम भरा होगा। ग्रामीण भारत अब तक कोरोना वायरस से प्रभावित नहीं है लेकिन इस बात की आशंका है कि शहर से गांव की ओर जा रहे 10 में से तीन लोग वायरस के वाहक हों।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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