संगठन में बड़े बदलाव की तैयारी में माकपा, नये चेहरे को मिलेगा मौका
माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य हन्नान मोल्लाह ने बताया, ‘‘पार्टी एक असाधारण स्थिति से गुजर रही है और इस स्थिति में असाधारण उपायों की जरुरत है। इससे पहले हमारे सामने केवल टीएमसी था। अब हम टीएमसी और भाजपा की दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।’’
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में अपने सबसे खराब प्रदर्शन के दो महीने बाद, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) राज्य में एक खास संदेश देने के लिए अपने संगठन में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। पार्टी सभी स्तरों पर अपने पुराने दिग्गज नेताओं की जगह पर नये चेहरे को मौका देने पर विचार कर रही है।1977 से लगातार तीन दशकों तक बंगाल पर शासन करने वाले माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा को 2019 के चुनाव में एक भी सीट हाथ नहीं लगी थी। राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 40 पर तो पार्टी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
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वाम दल को सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और बंगाल की राजनीति में उभरी भारतीय जनता पार्टी से कड़ी चुनौतियां मिल रही है। मई में आये चुनाव परिणाम के बाद से वाम दल ने राज्य समिति की दो बैठकें आयोजित की हैं। चुनाव नतीजे में साफ तौर पर दिख गया कि राज्य में पार्टी की पकड़ कितनी कमजोर हो गई है।बैठकों में, पार्टी इस निष्कर्ष पर पहुंची कि संगठनात्मक परिवर्तन न केवल जमीनी स्तर और मध्य स्तरों पर बल्कि मतदाताओं को ‘‘एक संदेश भेजने’’ के लिए शीर्ष स्तर पर भी होना चाहिए।वाम दल सोशल मीडिया के जरिए भी युवाओं तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
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माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य हन्नान मोल्लाह ने बताया, ‘‘पार्टी एक असाधारण स्थिति से गुजर रही है और इस स्थिति में असाधारण उपायों की जरुरत है। इससे पहले हमारे सामने केवल टीएमसी था। अब हम टीएमसी और भाजपा की दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।’’
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