छह साल सत्ता से दूरी के बाद भी त्रिपुरा में CPI(M) अब भी BJP के लिए चुनौती : CM Manik Saha

Manik Saha
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त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा है कि छह साल से सत्ता से बाहर रहने के बाद भी माकपा भी राज्य में एक प्रमुख राजनीतिक ताकत है। जिसे भारतीय जनता पार्टी नजरअंदाज नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि माकपा के राज्य की सत्ता में 35 साल रहने के कारण उसके बड़ी संख्या में समर्थक और शुभचिंतक हैं।

अगरतला । त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा है कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) छह साल से राज्य की सत्ता से बाहर है, लेकिन वह अब भी राज्य में एक प्रमुख राजनीतिक ताकत है और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उसे नजरअंदाज नहीं कर सकती है। साहा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि माकपा के 1978 से 1988 तक एक दशक तक पहली बार और फिर 1993 से 2018 तक 25 साल तक राज्य में शासन करने के कारण उसके बड़ी संख्या में समर्थक और शुभचिंतक हैं। 

उन्होंने कहा कि चाहे लोकसभा हो या नगर निकाय, कोई भी चुनाव जीतना हमेशा आसान नहीं होता जैसा कि नजर आता है। उन्होंने कहा कि पार्टी को पिछले साल के विधानसभा चुनाव में दो प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा था। वह अगरतला और बनमालीपुर निर्वाचन क्षेत्रों का उल्लेख कर रहे थे, जहां भाजपा को कांग्रेस से शिकस्त मिली थी। बहरहाल, साहा ने विश्वास जताया कि राज्य की दो लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार- पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब (त्रिपुरा पश्चिम) और कृति सिंह देबबर्मा (त्रिपुरा पूर्व) विजयी होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने पार्टी के लिए 370 और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के लिए 400 का लक्ष्य तय किया है। हम इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और विश्वास कीजिए हम इस लक्ष्य को पार करेंगे।’’ 

उन्होंने माकपा के संदर्भ में कहा, ‘‘भाजपा किसी भी चुनाव में अपने विरोधियों को हल्के में नहीं लेती है। इसलिए हम बेपरवाह नहीं हैं। हम संभावित रूप से चुनौती देने वाले नेताओं से अवगत हैं और चुनाव जीतने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।’’ साहा ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के उन आरोपों की आलोचना की कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश का लोकतंत्र खतरे में आ गया है। उन्होंने कहा, ‘‘त्रिपुरा में कम्युनिस्टों का रक्तपात का इतिहास रहा है, क्योंकि उसके शासन में सैकड़ों लोगों की हत्या हुई। अकेले दक्षिण त्रिपुरा जिले में विपक्षी पार्टी के 69 नेताओं और कार्यकर्ताओं की हत्या हुई, बल्कि वाम दल के शासन में एक मौजूदा मंत्री और कुछ विधायकों की भी हत्या हुई थी।’’ 

साहा ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले टिपरा मोथा के भाजपा नीत सरकार में शामिल होने से खासकर आदिवासी क्षेत्र में भाजपा की ताकत बढ़ी है। त्रिपुरा की 60-सदस्यीय विधानसभा में 13 विधायकों के साथ मुख्य विपक्षी दल टिपरा मोथा सात मार्च को सरकार में शामिल हो गयी। साहा ने दावा किया कि भाजपा और उसके सहयोगियों को चुनाव प्रचार अभियानों के दौरान लोगों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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