दिल्ली HC ने सावरकर की जीवनी के लेखक के खिलाफ इतिहासकार ऑड्रे ट्रुश्के और अन्य को मानहानिकारक सामग्री प्रकाशित करने से रोका

Trushke
अभिनय आकाश । Feb 24 2022 1:14PM

विक्रम संपत ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए ट्रुश्के और दो अन्य लोगों से 2 करोड़ का हर्जाना मांगा था। कोर्ट की तरफ से सुनवाई की अगली तारीख तक प्रतिवादियों को ट्विटर के साथ-साथ किसी अन्य ऑनलाइन या ऑफलाइन प्लेटफॉर्म पर पत्र या किसी अन्य मानहानिकारक सामग्री को प्रकाशित करने से रोक लगाने के आदेश दिए गए।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने  इतिहासकार ऑड्रे ट्रुश्के, अनन्या चक्रवर्ती और रोहित चोपड़ा को विनायक दामोदर सावरकर के से लेखर विक्रम संपत के खिलाफ साहित्यिक चोरी का आरोप लगाने वाले किसी भी हानिकारिक सामग्री प्रकाशित नहीं करने का निर्देश दिया है। यह आदेश एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमित बंसल द्वारा संपत के एक मुकदमे पर पारित किया गया है। विक्रम संपत ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए ट्रुश्के और दो अन्य लोगों से 2 करोड़ का हर्जाना मांगा था। संपत ने अपने मुकदमे में ब्रिटेन में रॉयल हिस्टोरिकल सोसाइटी (आरएचएस) की अध्यक्ष एम्मा ग्रिफिन को इतिहासकार ट्रुशके, अनन्या चक्रवर्ती और रोहित चोपड़ा द्वारा लिखे गए 11 फरवरी के पत्र के प्रकाशन पर भी स्थायी निषेधाज्ञा मांगी है।

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मुकदमे में आज नए आवेदनों का एक सेट पेश किया गया, जिसमें तर्क दिया गया कि 11 फरवरी के पत्र के अनुसार, ट्रुश्के और अन्य ने आरएचएस को एक और संचार भेजा, जिसमें उनके काम में और साहित्यिक चोरी का आरोप लगाया गया था और यह ट्विटर और फेसबुक पर पोस्ट किया गया था। ट्रुश्के द्वारा संपत के पीएचडी पर्यवेक्षक को एक अन्य ई-मेल भेजा गया था जिसमें उनकी डॉक्टरेट थीसिस तक पहुंच की मांग की गई थी ताकि आगे साहित्यिक चोरी के लिए दस्तावेज़ का अध्ययन किया जा सके।

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कोर्ट की तरफ से सुनवाई की अगली तारीख तक प्रतिवादियों को ट्विटर के साथ-साथ किसी अन्य ऑनलाइन या ऑफलाइन प्लेटफॉर्म पर पत्र या किसी अन्य मानहानिकारक सामग्री को प्रकाशित करने से रोक लगाने के आदेश दिए गए। इसके साथ ही एकल-न्यायाधीश ने अपने आदेश में दर्ज किया, "ट्विटर के वरिष्ठ वकील ने कहा कि यदि यूआरएल प्रदान किए जाते हैं, तो वे उसे हटा देंगे। 

विक्रम संपत को पहले भी बनाया जाता रहा है निशाना

बता दें कि इससे पहले भी लेखक और इतिहासकार विक्रम पर सावरकर पर उनके दो-खंडों के काम पर झूठे आरोप लगाकर हमला किया गया था। सावरकर की जीवनी लिखने पर विक्रम संपत को लगातार वामपंथी इतिहासकारों ने निशाना बनाया, उन्हें ट्रोल किया। ऑड्रे ट्रुश्के का विवाद औरंगजेब और मुगल तानाशाह के महिमामंडन से शुरू होता है। वह 2021 में आयोजित ‘डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’सम्मेलन की प्राथमिक प्रतिभागियों में से एक थीं। 

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