'चिकित्सक हड़ताल का न लें सहारा', दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा- मरीजों की जान को खतरा हो सकता है
उच्च न्यायालय ने देश के विभिन्न हिस्सों में चिकित्सकों पर हो रहे हमलों की निंदा करते हुए यह टिप्पणी की। उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने कहा, ”मरीज को कुछ भी हो जाए तो यहां चिकित्सकों को पीटा जाता है, हमारे यहां यह स्थिति है।”
नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि चिकित्सकों को हड़ताल का सहारा नहीं लेना चाहिए क्योंकि इससे उनकी सेवाएं प्रभावित होती हैं और उसके गंभीर परिणाम होते हैं। इससे मरीजों की जान को भी खतरा हो सकता है। न्यायालय ने देश के विभिन्न हिस्सों में चिकित्सकों पर हो रहे हमलों की निंदा करते हुए यह टिप्पणी की। उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने कहा, ”मरीज को कुछ भी हो जाए तो यहां चिकित्सकों को पीटा जाता है, हमारे यहां यह स्थिति है।”
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उच्च न्यायालय एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार हड़ताल में शामिल चिकित्सकों के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी। न्यायालय ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि चिकित्सकों या जनता की सेवा करने वाले किसी अन्य पेशे से संबंधित व्यक्तियों द्वारा हड़ताल का सहारा नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि इस तरह की हड़ताल से सेवाओं पर गंभीर असर पड़ता है। पीठ ने कहा, ‘‘चिकित्सकों के मामले में इस तरह की हड़ताल का असर और गंभीर होगा क्योंकि इससे मरीजों की जान को खतरा हो सकता है।
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