Shubhanshu Shukla Return: 18 दिन बाद शुभआगमन! कैलिफोर्निया के तट पर लैंड हुआ ड्रैगन यान, अंतरिक्ष से सितारे जमीन पर

Shubhanshu
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अभिनय आकाश । Jul 15 2025 3:22PM

मिशन 14 दिन का था, पर 18 दिन चला। वहां 60 प्रयोग किए गए। इनमें 7 इसरो के थे। शुभांशु 263 किलो वैज्ञानिक सामान और डेटा ला रहे हैं। यह मिशन इसरो के लिए अहम है, क्योंकि भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान 2027 में लॉन्च होना है। शुभांशु के मिशन पर 550 करोड़ खर्च हुए।

15 जुलाई 2025 भारतीय समयानुसार दोपहर 3:00 बजे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की 18 दिन की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) यात्रा का समापन कर धरती पर लौट गए। सभी अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर आ रहा ड्रैगन यान कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में उतरा। उनके ड्रैगन कैप्सूल ने सोमवार शाम 4:45 बजे आईएसएस से अनडॉकिंग के बाद धरती की यात्रा शुरू की। शुभांशु एग्जिओम-4 मिशन के तहत 25 जून को दोपहर 12 बजे तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ आईएसएस गए थे। तब पहुंचने में 28 घंटे लगे थे, लेकिन वापसी 23 घंटे में पूरी होगी। शुभांशु आईएसएस पहुंचने वाले पहले भारतीय हैं।

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14 दिन का मिशन 18 दिन चला

मिशन 14 दिन का था, पर 18 दिन चला। वहां 60 प्रयोग किए गए। इनमें 7 इसरो के थे। शुभांशु 263 किलो वैज्ञानिक सामान और डेटा ला रहे हैं। यह मिशन इसरो के लिए अहम है, क्योंकि भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान 2027 में लॉन्च होना है। शुभांशु के मिशन पर 550 करोड़ खर्च हुए।  

क्या प्रयोग किए गए स्पेस में?

आईएसएस पर शुभाशु और उनके साथ तीन अंतरिक्ष यात्रियों ने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए। ड्रैगन अंतरिक्ष यान स्पेस स्टेशन से चार कू के सदस्यों के अलावा 580 पाउंड से अधिक सामान के साथ लौटेगा।

शुभाशु ने अंतरिक्ष स्टेश पर माइक्रोएल्गी प्रयोग पर काम किया। ऐसे सैंपल लिए जो भविष्य में बड़े अंतरिक्ष अभियानों के लिए भोजन, ऑक्सिजन और बायोफ्यूल का सोर्स बन सकते है।

एक अन्य स्टडी के लिए डेटा इकट्ठा किया जिसमें यह समझने की कोशिश की गई कि अंतरिक्ष यात्री कक्षा में अपने वातावरण को कैसे अनुभव करते है और उसके साथ कैसे तालमेल बनाते है।

एक स्टडी में दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन पर फोकस किया गया, इससे भविष्य में अतरिक्ष यात्रियों और पृथ्वी पर रहने वाले मरीजों, दोनों के इलाज में मदद मिल सकती है।

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10 दिन का आइसोलेशन

धरती पर उतरने के बाद शुभांशु 7 दिन आइसोलेशन में रहेंगे। 18 दिन शून्य गुरुत्वाकर्षण में बिताकर आ रहे हैं। इस रिहैब प्रोग्राम में फ्लाइट सर्जन उनकी निगरानी करेंगे। भारत लौटने से पहले उन्हें कई चिकित्सकीय, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक मूल्याकंनों से गुजरना होगा। 

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