Yes Milord: ED हद पार कर रही है, CJI ने क्यों लगाई फटकार, किस मामले पर रोक लगा दी?

मामला तमिलनाडु के सरकारी शराब निगम यानी टॉसमैक का है। जिसे तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन के नाम से भी जाना जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी और जांच पर रोक लगा दी है। सीजेआई गवई ने कहा कि ईडी ने हर सीमा पार कर दी है। आप पूरी तरह से देश के फेडरल स्ट्रक्चर का उल्लंघन कर रहे हैं।
योर ईडी क्रॉसिंग योर लिमिट यानी आपकी ईडी अपनी सीमा पार कर रही है। कॉरपोरेशन के खिलाफ ये अपराध कैसे बन गया। ये सवाल भारत के मुख्य न्यायधीश बीआर गवई ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कही। दरअसल, 22 मई की रोज सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया। मामला तमिलनाडु के सरकारी शराब निगम यानी टॉसमैक का है। जिसे तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन के नाम से भी जाना जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी और जांच पर रोक लगा दी है। सीजेआई गवई ने कहा कि ईडी ने हर सीमा पार कर दी है। आप पूरी तरह से देश के फेडरल स्ट्रक्चर का उल्लंघन कर रहे हैं।
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मद्रास HC के फैसले पर रोक
कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश पर भी रोक लगा दी, जिसमें इस कंपनी में 1,000 करोड़ के कथित घोटाले की जांच को मंजूरी दी गई थी। कोर्ट ने ईडी से पूछा कि जब अधिकारियों के खिलाफ पहले से एफआईआर दर्ज हैं, तो फिर संस्था पर कार्रवाई क्यों की जा रही है? कोर्ट ने कहा कि जब तक ईडी यह स्पष्ट नहीं करता कि मूल अपराध क्या है, तब तक जांच नहीं हो सकती। कोर्ट ने ईडी से हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है।
आप व्यक्तियों पर केस दर्ज कर सकते हैं, सरकारी संस्था पर नहीं
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि यह अपराध संस्था के खिलाफ कैसे हो सकता है? आप (ईडी) व्यक्तियों पर केस दर्ज कर सकते हैं, सरकारी संस्था के खिलाफ नहीं।' ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू और विशेष वकील जोहेब हुसैन ने कहा, हम इस पर जवाब दाखिल करेंगे। इससे पहले, तमिलनाडु सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अमित आनंद तिवारी ने दलील दी, 'राज्य सरकार ने साल 2014 से अब तक 41 एफआईआर खुद दर्ज की हैं। इंडी 2025 में आता है और सीधे संस्था के मुख्यालय पर छापा मारता है। फोन जब्त कर लिए जाते हैं, सब कुछ ले लिया जाता है। क्या निजता नाम की कोई चीज नहीं है? डीएमके सरकार और टीएएसएमएसी ने ईडी की कार्रवाई को अवैध बताया। कहा, ईडी ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है। मार्च में हुई छापेमारी को उन्होंने गैरकानूनी करार दिया और इसे मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार और टीएएसएमएसी के पक्ष में फैसला दिया है।
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ईडी सवालों में क्यों घिरी?
ईडी ने इस साल 6 से 8 मार्च के बीच टीएएसएमएसी के मुख्यालय पर छापेमारी की थी। आरोप था कि अधिकारियों ने शराब की बोतलों की कीमत बढ़ाकर, टेंडर में गड़बड़ी और रिश्वतखोरी के जरिए तथाकथित 1,000 करोड़ रु. से ज्यादा की वित्तीय अनियमितताएं कीं। ये सभी आरोप 41 एफआईआर में दर्ज किए गए हैं। ईडी ने क्या गलत किया? तमिलनाडु की डीएमके सरकार का कहना है कि ईडी ने बिना राज्य सरकार की अनुमति के कंपनी के दफ्तरों और कर्मचारियों के घरों पर छापेमारी की, जो कि संघीय ढांचे का उल्लंघन है। छापेमारी के लिए कोई ठोस कारण या सबूत नहीं बताया। कर्मचारियों को 60 घंटे से ज्यादा समय तक हिरासत में रखा और उनके फोन व दस्तावेज जब्त किए, जिसे गैरकानूनी बताया गया। डीएमके और मंत्री सेंथिल बालाजी ने इसे राजनीतिक बदले की भावना से की गई कार्रवाई बताया।
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