केरल के स्कूल में पेश की गयी लैंगिक समानता की मिसाल, लड़के-लड़कियां पहनेंगे सेम ड्रेस

Example of gender equality
रेनू तिवारी । Nov 23 2021 1:10PM

केरल के एक स्कूल ने लैंगिक समानता लाने के लिए शौचालय बनाने, अपराध रोकने जैसे मुद्दों से आगे बढ़ते हुए सभी छात्र-छात्राओं के लिए एक समान वेशभूषा (यूनिफॉर्म) लाकर, इस दिशा में एक सराहनीय कदम उठाया है और राज्य सरकार ने इस पहल का समर्थन करते हुए इस तरह की गतिविधियों को बढ़ावा देने का फैसला किया है।

हम भारत में बड़े-बड़े मंचों से हमेशा लैंगिक समानता की बात करते हैं लेकिन बड़े मंचों से बोले गये ये शब्द सामाजिक स्तर पर पहुंचते-पहुंचते बहुत छोटे हो जाते हैं। सामाजित स्तर पर लैंगिक समानता को कोई नहीं मानता। भारतीय समाज हमेशा से ही पुरूष प्रधान रहा हैं लेकिन केरल के एक स्कूल में कुछ ऐसे नियम जारी किए गये हैं जिससे आप यह सोचने के लिए मजबूर हो जाएंगे कि जहां बड़े-बड़े शहरों में समाजिक स्तर पर लैंगिक समानता को जगह नहीं मिल सकी वहीं केरल के एक छोटे से स्कूल ने लैंगिक समानता को लेकर बड़ी मिसाल पेश की हैं। केरल में एर्नाकुलम जिले के पेरुंबवूर के पास वलयनचिरंगारा सरकारी लोअर प्राइमरी स्कूल ने 754 छात्रों के लिए एक लैंगिक समानता को लेकर लड़के-लकड़ियों के लिए 3/4 शॉर्ट्स और शर्ट मिला कर सामान्य वर्दी पहनने का नियम बनाया है। यानी कि अगर लड़के शॉर्ट पहनते हैं तो उसी नाप की लड़कियां स्कर्ट पहन सकती हैं। 

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केरल के एक स्कूल ने लैंगिक समानता लाने के लिए शौचालय बनाने, अपराध रोकने जैसे मुद्दों से आगे बढ़ते हुए सभी छात्र-छात्राओं के लिए एक समान वेशभूषा (यूनिफॉर्म) लाकर, इस दिशा में एक सराहनीय कदम उठाया है और राज्य सरकार ने इस पहल का समर्थन करते हुए इस तरह की गतिविधियों को बढ़ावा देने का फैसला किया है। केरल के एर्नाकुलम जिले के पेरुम्बवूर के पास वलयनचिरंगारा सरकारी लोअर प्राइमरी (एलपी) स्कूल ने लैंगिक समानता सुनिश्चित करने की दिशा में पहला कदम उठाते हुए, सभी छात्र-छात्राओं के लिए नई यूनिफॉर्म (वेश) में 3/4 शॉर्ट्स (घुटनों तक की पैंट) और कमीज तय की है। स्कूल में 754 छात्र हैं। नए ड्रेस कोड की योजना 2018 में बनाई गई थी और इसे स्कूल के निम्न प्राथमिक वर्ग के लिए शुरू किया गया था। वैश्विक महामारी के बाद स्कूल फिर से खुलने पर इसे सभी छात्रों के लिए लागू कर दिया गया। अभिभावक-शिक्षक संघ (पीटीए) के मौजूदा अध्यक्ष विवेक वी ने  कहा कि वे बच्चों को एक समान स्वतंत्रता देना चाहते हैं। 

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विवेक, 2018 में पीटीए की उस कार्यकारी समिति का भी हिस्सा थे, जिसने एक समान वेश लाने से जुड़ा यह फैसला किया था। विवेक ने कहा, ‘‘हमें छात्रों और उनके अभिभावकों का समर्थन मिला। हम चाहते थे कि सभी छात्रों की एक समान वेशभूषा हो, ताकि तभी को एक समान स्वतंत्रता मिले। सबसे पहले इसे पूर्व प्राथमिक कक्षाओं के लिए लागू किया गया था, जिसमें करीब 200 छात्र हैं। इसे वहां भरपूर समर्थन मिलने के बाद बाकी कक्षाओं के लिए भी ही यही वेश तय किया गया।’’ सामान्य शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने कहा कि यह एलपी स्कूल का एक सराहनीय कदम है और सरकार इस तरह की लैंगिक समावेशी गतिविधियों को बढ़ावा देगी। 

शिवनकुट्टी ने ट्वीट कर स्कूल को बधाई दी और कहा, ‘‘पाठ्यक्रम सुधार के दौरान लैंगिक न्याय, समानता और जागरूकता के विचारों पर जोर दिया जाएगा। इन पाठों को केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित रखने की जरूरत नहीं है। वलयनचिरंगारा एलपी स्कूल का यह सराहनीय कदम है, जिसके तहत सभी छात्र-छात्राएं अब यहां एक जैसी वेशभूषा- शॉर्ट पैंट और शर्ट पहनेंगे।’’ उन्होंने कहा कि समाज में इस बात पर चर्चा शुरू करने की जरूरत है कि क्या हमें लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग स्कूल अब भी जारी रखने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता और न्याय को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

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