किसान प्रदर्शन: दिल्ली पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे, पानी की बौछारें की

 Delhi Police

हरियाणा सरकार ने किसानों को प्रदर्शन के लिए एकत्रित होने से रोकने के लिए कई इलाकों में सीआरपीसी की धारा 144 भी लागू कर दी है। किसान नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि नये कानून से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।

नयी दिल्ली। केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ ‘दिल्ली चलो’ मार्च के तहत राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च कर रहे किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने दिल्ली-हरियाणा सीमा पर कहीं आंसू गैस के गोले दागे, तो कहीं पानी की बौछारें कीं।  दिल्ली पुलिस ने सिंघु बॉर्डर पहुंचे किसानों के एक समूह पर आंसू गैस के गोले दागे, जबकि टीकरी बॉर्डर पर सुरक्षा कर्मियों ने किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में आने से रोकने के लिएउन पर पानी की बौछारें की। सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा कर्मियों द्वारा आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किए जाने के बाद वहां घना धुआं देखा गया। वहीं टीकरी बॉर्डर पर किसानों की पुलिस से झड़प हो गई और उन्होंने अवरोधक के तौर पर लगाए ट्रक को जंजीरों (चैन) के जरिए ट्रैक्टर से बांध वहां से हटाने की कोशिश की। पंजाब से दिल्ली आने के सीधे मार्ग सिंघु बॉर्डर पर किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल होने से रोकने के लिए कई तरह के अवरोधक लगाए गए हैं। सीमावर्ती इलाकों में प्रदर्शनकारियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के लिए सुरक्षा कर्मी ड्रोन का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ हम किसानों को प्रदर्शन करने से रोकने के लिए आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम उन्हें यह भी बता रहे हैं कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर किसी प्रकार की रैली करने या धरना देने की अनुमति नहीं है।’’ अधिकारी ने कहा, ‘‘ उन्हें अनुमति नहीं दी गई और अगर उन्होंने फिर भी दिल्ली में दाखिल होने की कोशिश की तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।’’ सरकारी सूत्रों ने बताया कि मार्च के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने आप सरकार से शहर के नौ स्टेडियम को अस्थायी जेल बानाने की अनुमति भी मांगी। दिल्ली के गृह मंत्री सत्येन्द्र जैन ने हालांकि पुलिस को स्टेडियम का इस्तेमाल अस्थायी जेलों के तौर पर करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। प्रदर्शन के कारण शहर के कई इलाकों में यातायात भी प्रभावित हुआ है। राष्ट्रीय राजधानी सीमाओं से लगे कई स्थानों पर यातायात का मार्ग बदल दिया गया है। दिल्ली-गुड़गांव सीमा पर वाहनों की तलाशी भी बढ़ा दी गई है, जिससे वहां जाम लग गया है। दिल्ली-गुड़गांव सीमा पर सीआईएसएफ के कर्मियों को भी तैनात किया गया है। दिल्ली यातायात पुलिस ने ट्वीट कर लोगों से रिंग रोड, मुकरबा चौक, जीटीके रोड, एनएच- 44 और सिंघु बॉर्डर की बजाय दूसरे रास्तों से गुजरने की अपील की। उसने कहा, ‘‘अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की रैली /मार्च/प्रदर्शन के मद्देनजर यातायात पुलिस मुकरबा चौक और जीटीके मार्ग से यातायात को परिवर्तित कर रही है।’’ 

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दिल्ली यातायात पुलिस ने यह भी बताया कि टीकरी बॉर्डर पर भी स्थानीय पुलिस ने यातायात को पूरी तरह रोक दिया है। तीस से अधिक किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले पंजाब के किसानों ने घोषणा की थी कि वे लालडू, शंभु, पटियाला-पिहोवा, पातरां-खनौरी, मूनक-टोहाना, रतिया-फतेहाबाद और तलवंडी-सिरसा मार्गों से दिल्ली की ओर रवाना होंगे। सभी सीमाओं पर तनाव कायम है। ‘दिल्ली चलो’ मार्च के लिए किसान अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर राशन और अन्य आवश्यक सामान के साथ एकत्रित हो गए हैं। हरियाणा सरकार ने किसानों को प्रदर्शन के लिए एकत्रित होने से रोकने के लिए कई इलाकों में सीआरपीसी की धारा 144 भी लागू कर दी है। किसान नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि नये कानून से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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