फारूक अब्दुल्ला बोले, नया अधिवास कानून अवैध तथा असंवैधानिक, जनता इसे नहीं करेगी स्वीकार

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फारूक अब्दुल्ला ने भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत की भी वकालत की। उन्होंने कहा, भारत-चीन या भारत-पाकिस्तान का भविष्य केवल बातचीत पर तय होगा। युद्ध समाधान नहीं है।

श्रीनगर। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष तथा श्रीनगर से लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लिये नया अधिवास कानून अवैध तथा असंवैधानिक है और इस केन्द्र शासित प्रदेश की जनता इसे स्वीकार नहीं करेगी। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में नए अधिवास कानून के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने पत्रकारों से कहा, जब हम कह रहे हैं कि उन्होंनेजो भी अवैध और असंवैधानिक किया है, हम सब उसके खिलाफ हैं तो आप ऐसा कैसे सोच सकते हैं कि जो भी असंवैधानिक है,मैं उसे स्वीकार कर लूंगा। नए अधिवास कानून के अनुसार, वे अस्थायी निवासी जिनके पास कम से 15 साल से जम्मू-कश्मीर में रिहाइश का सबूत है, वह अधिवास प्रमाणपत्र के हकदार हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाए जाने से पहले तक स्थायी निवासियों को ही जमीन खरीदने और सरकारी नौकरियों के लिये आवेदन की अनुमति थी। 

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अब्दुल्ला ने भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत की भी वकालत की। उन्होंने कहा, भारत-चीन या भारत-पाकिस्तान का भविष्य केवल बातचीत पर तय होगा। युद्ध समाधान नहीं है। पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लिये जाने के बाद लगभग आठ महीने की हिरासत से हाल ही में रिहा हुए अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात एक परीक्षा है। एकजुट होना वक्त की जरूरत है।’’ उन्होंने जोर देकर कहा, यह परीक्षा का समय है। अल्लाह से कहिये कि हमारे इतने इम्तेहान न ले। लेकिन इन परीक्षाओँ से डरने की जरूरत नहीं है। अल्लाह ने भी कुछ बेहतर ही सोच रखा है। हम सब एक हैं, एकजुट हैं। चुनाव या अन्य चीजों के लिये भले एक न हों, लेकिन एक मकसद के लिये एकजुट हो जाएं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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