अजन्मे बेटे के सर्टिफिकेट के जरिए धोखाधड़ी करने वाले पिता की जमानत याचिका खारिज

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रितिका कमठान । Oct 7 2022 11:42AM

गुजरात के गांधी नगर में सेशन कोर्ट ने बेटे का फर्जी जन्म और मृत्यु दिखाने के आरोपी को जमानत देने के इंकार कर दिया है। ये दूसरा मौका है जब कोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज किया है। आरोपी को पुलिस ने वर्ष 2019 में एफआईआर दर्ज की थी।

गांधी नगर की सेशन कोर्ट ने कथित तौर पर कागजों में बेटे के जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र को दिखाने के लिए किए गए फर्जीवाड़े के मामले में आरोपी हर्षद बरोट की जमानत याचिका को दूसरी बार खारिज कर दिया है। आरोपी ने जीवन बीमा का पैसा लेने के लिए कथित तौर पर ये फर्जीवाड़ा किया था।

जानकारी के मुताबिक मामला जिले के कपडवंड के पास मोतीजेर गांव का है। हर्षद बरोट एकलव्य विद्या विहार प्राइमरी स्कूल में प्रशासक के पद पर कार्यरत है। अपने बेटे विश्वास के लिए उन्होंने वर्ष 2013-14 में 53 लाख रुपये की बीमा पॉलिसी खरीदी थी। पॉलीसी खरीदने के चार वर्षों बाद यानी वर्ष 2018 में उन्होंने रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस को सूचना दी की एक जून,2017 को उनके बेटे विश्वास की मौत हो गई है। उन्होंने मौत का कारण स्ट्रोक बताया है। उन्होंने दो बीमा पॉलिसियों पर 22 लाख रुपये का दावा कर दिया।

बीमा कंपनी ने जब इस मामले की जांच की तो पता चला कि विश्वास नाम का कोई व्यक्ति कभी पैदा नहीं हुआ था। ये जानकारी मिलते ही बीमा कंपनी ने वर्ष 2019 के जनवरी में हर्षद व उसके चार सहयोगियों के खिलाफ धोखाधड़ी के लिए एफआईआर दर्ज कराई। बीमा कंपनी ने शिकायत में आरोप लगाया कि हर्षद ने बेटे का जन्म हुए बिना ही उसका स्कूल में पांचवीं कक्षा में दाखिला कराया था। हालांकि स्कूल में पहली से चौथी तक उसका कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है। पूछताछ में सामने आया कि स्कूल के प्रिंसिपल और अन्य कर्मचारी ये साबित करते थे कि बच्चा स्कूल में पढ़ रहा है। हालांकि इसके लिए उन्हें मजबूर किया जाता था। बेटे के नाम से आरोपी ने राशन कार्ड, ग्राम आंगनवाड़ी समेत कई सरकारी दस्तावेजों में फर्जी एंट्री कराई हुई थी।

बेटे का बनवाया फर्जी सर्टिफिकेट

आरोपी ने अपने बेटे का वर्ष 2003 में फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट बनवाया, इसके बाद उन्होंने विश्वास का मृत्यु सर्टिफिकेट अरावली जिले के टोटू ग्राम पंचायत से बनवाया। इस पूरे मामले की खास बात है कि हर दस्तावेज में बच्चा मौजूद था मगर बीमा कंपनी के अधिकारियों को कोई प्रमाण नहीं मिला जहां किसी व्यक्ति ने बच्चे को देखा हो। जांच पड़ताल में सामने आया कि आरोपी ने सिर्फ एक नहीं बल्कि कई बीमा पॉलिसी ली थी। बता दें कि असल में आरोपी के दो बेटे है और दोनों सकुशल जीवित है।

एफआईआर होने के तीन साल बाद हुई गिरफ्तारी

इस मामले में पुलिस ने आरोपी हर्षद को एफआईआर होने के तीन वर्ष के बाद 22 जून को गिरफ्तार किया। पुलिस ने जालसाजी, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप मामला दर्ज किया और चार्ज शीट  भी दाखिल की। पुलिस का कहना था कि मामले में विश्वास को लेकर सभी दस्तावेज मौजूद थे, मगर उसका अस्तित्व नहीं था। इस मामले में एक बार कोर्ट ने पहले भी आरोपी को जमानत देने के इंकार किया था।

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