बिना अधिसूचना के क्लस्टर बसों में मुफ्त यात्रा का कदम खराब होगा: हाई कोर्ट

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[email protected] । Jan 27 2020 7:07PM

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अगर शहर में चल रही क्लस्टर बसों में बिना अधिसूचना के महिलाओं को निशुल्क यात्रा कराई जा रही है तो यह खराब बात होगी। अदालत ने कहा कि अधिसूचना यह नहीं कहती कि योजना क्लस्टर बसों पर लागू है। हम आपके बयान पर यह भरोसा नहीं कर सकते। इसमें क्लस्टर बसों की बात नहीं है।

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि अगर शहर में चल रही क्लस्टर बसों में बिना अधिसूचना के महिलाओं को निशुल्क यात्रा कराई जा रही है तो यह खराब बात होगी। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने हालांकि साफ किया कि यह कार्रवाई डीटीसी की बसों के लिए योजना लागू करने की अधिसूचना को अवैध नहीं बनाती है। राष्ट्रीय राजधानी में दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) द्वारा संचालित बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा की सुविधा प्रदान करने की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए पीठ ने यह टिप्पणी की। 

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अदालत ने कहा, ‘‘अधिसूचना यह नहीं कहती कि योजना क्लस्टर बसों पर लागू है। हम आपके बयान पर यह भरोसा नहीं कर सकते। इसमें क्लस्टर बसों की बात नहीं है। अगर उन्होंने इसे क्लस्टर बसों पर लागू किया है तो अधिसूचना खराब नहीं है, उनकी कार्रवाई खराब है।’’ अदालत ने याचिकाकर्ता संगठनों के वकील सेकहा, ‘‘तो आप एकल न्यायाधीश के समक्ष चुनौती दीजिए। एक बेहतर याचिका दाखिल करें।’’ संगठन छोटे सार्वजनिक परिवहन संचालकों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो मिनी बस, ग्रामीण सेवा, फटाफट सेवा और ग्रामीण परिवहन के वाहनों का संचालन करते हैं। जब याचिकाकर्ता संगठनों के वकील को आभास हुआ कि पीठ मामले को खारिज करने जा रही है तो उन्होंने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। अदालत ने इसे वापस लेने की अनुमति दे दी।

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