सरकार बनाने और बहुमत सिद्ध करने का मौका मिले: रावत

देहरादून। उत्तराखंड में भाजपा द्वारा सरकार गठन की संभावनायें तलाशे जाने की खबरों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राज्यपाल कृष्णकांत पाल से आग्रह किया है कि प्रदेश में राष्ट्रपति शासन हटने और सरकार गठन की संभावना बनने पर भाजपा की बजाय विधानसभा में सबसे बड़े दल का नेता होने के चलते उन्हें ही पहले न्यौता दिया जाये और सदन में बहुमत सिद्ध करने के लिये कहा जाये। पूर्व मंत्रियों दिनेश अग्रवाल और प्रीतम सिंह द्वारा कल रात राजभवन जाकर पूर्व मुख्यमंत्री रावत की ओर से सौंपे गये ज्ञापन में समाचारपत्रों और मीडिया में आयी खबरों का हवाला देते हुए कहा गया है कि हालांकि, इन खबरों की सच्चाई और विश्वसनीयता अभी पुष्ट नहीं हो पायी है लेकिन ऐसा लग रहा है कि उत्तराखंड में भाजपा को सरकार बनाने के लिये कहा जा सकता है। रावत ने कहा कि इन खबरों ने अधोहस्ताक्षरी (रावत) के दिमाग में गंभीर शंका पैदा कर दी है कि भाजपानीत केंद्र सरकार राष्ट्रपति शासन हटाकर और फिर भाजपा को सरकार बनाने का मौका देकर संविधान के साथ फिर धोखा करेगी। उन्होंने कहा कि वैसे भी विधानसभा में सबसे बड़े दल का नेता होने के बावजूद अगर मुझे सदन में बहुमत सि़द्घ करने का मौका दिये बिना मेरी बजाय भाजपा को सरकार बनाने देने का कोई भी प्रयास एसआर बोम्मई बनाम भारत सरकार के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा स्थापित कानून के भी खिलाफ होगा। रावत ने कहा कि जब अनुच्छेद 356 का प्रयोग कर एक मुख्यमंत्री को अपदस्थ किया गया है तो उसे हटाये जाने पर केवल पूर्व मुख्यमंत्री को ही पहले न्यौता दिया जाना चाहिये और उसे विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने को कहा जाना चाहिये ।
इस संदर्भ में रावत ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने को दी गयी चुनौती का भी जिक्र किया और कहा कि उस पर अंतिम सुनवाई फिलहाल चल रही है। गत 18 मार्च के बाद राज्यपाल द्वारा उन्हें 28 मार्च तक सदन में बहुमत सिद्घ करने का आदेश देने और प्रस्तावित शक्ति परीक्षण से एक दिन पहले राष्ट्रपति शासन लागू कर दिये जाने सहित प्रदेश में हुए घटनाक्रम का जिक्र करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह यह दोहराना चाहते हैं कि उनके पास विधानसभा में अब भी जरूरी बहुमत है और उन्हें सदन में विश्वास मत हासिल करने का मौका दिया जाना चाहिये। उन्होंने कहा, ''मैं कहना चाहता हूं कि मेरे पास जरूरी बहुमत है और मुझे सदन में अपनी ताकत सिद्ध करने का मौका दिया जाना चाहिये । इसके लिये मैं हमेशा तैयार और इच्छुक हूं।’’ ज्ञापन पर हरीश रावत के साथ ही पूर्व संसदीय कार्यमंत्री इंदिरा हृदयेश, पूर्व गृह मंत्री प्रीतम सिंह, पूर्व वनमंत्री दिनेश अग्रवाल और विधायक ममता राकेश के भी हस्ताक्षर हैं। गौरतलब है कि 18 मार्च को विधानसभा में विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की भाजपा की मांग का कांग्रेस के नौ विधायकों ने समर्थन किया था जिसके बाद प्रदेश में सियासी तूफान पैदा हो गया और उसकी परिणिति 27 मार्च को राष्ट्रपति शासन के रूप में हुई।
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