बालिका शिक्षा, स्वच्छ पर्यावरण को आर्य समाज ने बढ़ावा दिया: राजनाथ
उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जिसने दुनिया के वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा दी। प्राचीन भारत में ऋषि मुनियों ने मानवता का संदेश फैलाया। उन्होंने संस्कृति का प्रसार न सिर्फ देश के अंदर बल्कि पूरी दुनिया में किया।
नयी दिल्ली। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने समाज सुधारक स्वामी दयानंद सरस्वती के योगदान की रविवार को सराहना करते हुए कहा कि उनका संगठन आर्य समाज बालिका शिक्षा और स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए अथक कार्य कर रहा है। सिंह ने यहां आर्य समाज के चार दिवसीय वैश्विक सम्मेलन के समापन कार्यक्रम में अपनी टिप्पणी में यह कहा, जहां वह मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा, ‘‘भारत की ताकत भारतीयता है, यह सांस्कृतिक एकता में है। जितनी अधिक एकजुटता होगी भारत उतना ताकतवर होगा। ’’
देश जिन विभिन्न मुद्दों का सामना कर रहा है, उनका समाधान तलाशने की दिशा में योगदान देने के लिए गृहमंत्री ने इस संगठन की सराहना की। सिंह ने कहा कि भारत न सिर्फ देश को, बल्कि पूरी दुनिया और मानवता को फायदा पहुंचाने के लिए ताकतवर होना चाहता है। उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जिसने दुनिया के वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा दी। प्राचीन भारत में ऋषि मुनियों ने मानवता का संदेश फैलाया। उन्होंने संस्कृति का प्रसार न सिर्फ देश के अंदर बल्कि पूरी दुनिया में किया।
सिंह ने आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि इस संगठन का भारतीय समाज में काफी योगदान है क्योंकि यह लोगों की भलाई के लिए अथक कार्य करता आ रहा है। उन्होंने कहा कि आर्य समाज सिर्फ एक संगठन नहीं बल्कि एक विचार है। यह एक ऐसा क्रांतिकारी विचार है जिसने लोगों को जागरूक और प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि खुले दिमाग वाले लोग ही सिर्फ आध्यात्मिक हो सकते हैं। संकुचित दिमाग वालों में यह गुण नहीं हो सकता। वसुधैव कुटुंबकम का संदेश संकुचित सोच वाले लोगों ने नहीं दिया था।
सिंह ने कहा कि यह (वसुधैव कुटुंबकम) संदेश देता है कि हर किसी को खुश, स्वस्थ्य और निरोग रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज प्रदूषण एक वैश्विक समस्या बन गई है और दुनिया इसका मुकाबला करने के लिए कदम उठा रही है। स्वामी दयानंद सरस्वती ने इस मुद्दे को पहचाना और पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए यज्ञ करने की परंपरा शुरू की। सिंह ने कहा कि पेड़ नहीं काटने, बालिकाओं को शिक्षित करने, पर्यावरण को स्वच्छ बनाने - ये सभी शिक्षाएं पहले से ही भारतीय संस्कृति में हैं। स्वामी दयायनंद यह संदेश दुनिया को देना चाहते थे। यही वजह है कि उन्होंने आर्य समाज की स्थापना की। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति दुनिया की सबसे महान संस्कृति है। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति अपने आप में आधुनिक है। उन्होंने कहा कि आर्य समाज 6000 से अधिक स्कूल संचालित कर रहा है जो समाज के प्रति एक सराहनीय योगदान है।
उन्होंने कहा कि दुनिया के पास अब भी वह ज्ञान नहीं है जो हमारे वेदों में मौजूद है। सिंह ने कहा कि दुनिया में पायथागोरस पद्धति आने से 800 से अधिक साल पहले बौधायन नाम के एक भारतीय ऋषि इसकी अवधारणा संस्कृत में दी थी। उन्होंने कहा, ‘‘ स्वामी दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती 2024 में मनाई जाएगी, मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस अवसर पर साल भर चलने वाला समारोह मनाए जाने के लिए चर्चा करूंगा।’’ वैश्विक सम्मेलन का उदघाटन यहां रोहिणी जयंती पार्क में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था। इसमें 32 देशों के प्रतिनिधि शरीक हुए।
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