Dating Site पर लड़की के एक्टिव होने पर उठे चरित्र पर सवाल, बलात्कार आरोपी ने दिया था शादी का झांसा

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निधि अविनाश । Nov 2 2021 3:28PM

एक बलात्कार आरोपी ने डेटिंग साइट पर एक लड़की से शादी का वादा कर शारिरिक संबंध बनाया था जिसको लेकर लड़की ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कराया। इस बीच आरोपी आवेदक के वकील ने लड़की के चरित्र पर सवाल उठाते हुए यहा कहा था कि, दोनों ने सहमति से सेक्स किया था।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक बलात्कार के आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। अग्रेंजी अखबार TOI में छपी एक खबर के मुताबिक, एक बलात्कार आरोपी ने डेटिंग साइट पर एक लड़की से शादी का वादा कर शारिरिक संबंध बनाया था जिसको लेकर लड़की ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कराया। इस बीच आरोपी आवेदक के वकील ने लड़की के चरित्र पर सवाल उठाते हुए यहा कहा था कि, दोनों ने सहमति से सेक्स किया था। आरोपी के वकील ने पीड़ित महिला के डेटिंग साइट पर होने को लेकर उसके गुण और चरित्र पर भी सवाल उठाए थे। जमानत मांग रहे आरोपी के वकील के इन बयानों पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि, डेटिंग वेबसाइटों पर सक्रिय होना किसी के गुणों को आंकने के लिए एक पैरामीटर नहीं हो सकता है।

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क्या है पूरा मामला

बता दें कि, पीड़िता और आरोपी दोनों एक डेटिंग साइट पर मिले थे और शादी का झांसा देकर आरोपी ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया। इसके बाद, वह अपने वादे से मुकर गया जिसके कारण महिला ने लड़के के खिलाफ मामला दर्ज कर दिया। आरोपी ने बताया कि, दोनों के चार दिनों के मुलाकात के बाद ही दोनों की सहमति से सेक्स हुआ था। साथ ही यह तर्क दिया कि, दोनों के बीच शादी की कोई बात नहीं हुई थी। आरोपी के वकील द्वारा सहमित से सेक्स की बात को इनकार करते हुए कोर्ट ने 14 सितंबर के अपने फैसले में कहा कि, "डेटिंग साइट किसी के गुणों पर निर्णय नहीं ले सकता है। दो लोग डेटिंग साइट पर मिलते हैं और मिलने , बातचीत करने के बाद दो लोगों के बीच एक विश्वास हासिल कर लिया जाता है। दूसरा पक्ष शादी करने के लिए तैयार है और शादी के नाम पर, यदि शारीरिक संबंध की मांग की जाती है, तो यह पीड़ित को खराब कैरेक्टर वाले व्यक्ति के रूप में सहमति देने के रूप में नहीं माना जाएगा।" 

गौतमबुद्धनगर (नोएडा) के एक अभय चोपड़ा की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज करते हुए न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने कहा कि आवेदक निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने और अदालती कार्यवाही में भाग लेने के लिए स्वतंत्र है।अदालत ने कहा कि, अगर उसे सलाह दी जाती है, तो वह नियमित जमानत के लिए आवेदन कर सकता है, जिसे संबंधित अदालत यहां पारित आदेश से प्रभावित हुए बिना अपने गुण-दोष के आधार पर विचार करेगी।" 

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