Yes Milord: जीतकर भी हार सकते हैं चुनाव! CJI सूर्यकांत ने आते ही आरक्षण पर कौन सा फैसला सुना दिया, असमंजस में सरकार

CJI
AI Image
अभिनय आकाश । Nov 29 2025 2:44PM

शीर्ष अदालत ने कहा कि जिन नगर परिषदों और नगर पंचायतों में पहले ही 50सदी से ज्यादा आरक्षण अधिसूचित हो चुका है वहां चुनाव तो तय कार्यक्रम के अनुसार होंगे लेकिन उनके नतीजे रिट याचिकाओं के अंतिम फैसले से प्रभावित होंगे। भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जयमाल्य बारची की बेंच ने महाराष्ट्र लोकल बॉडीज में ओबीसी रिजर्वेशन को चुनौती देने वाली रिट पिटीशन पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस बार सिर्फ आदेश नहीं दिया बल्कि पूरा राजनीतिक खेल ही पलट कर रख दिया है।  जिसके बाद राज्य की सियासत गमाई हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कुछ ऐसा जो सिर्फ आदेश नहीं चेतावनी जैसा लगा। राजनीति में आज जो चेहरा मुस्कुरा रहा है, वह कल शायद कोर्ट की फाइलों में फंसा मिलेगा। चुनाव अब जीत कर भी हार में बदल सकते हैं। सत्ता बाद में और राजनीतिक दलों ने महसूस किया अब खेल सीधा नहीं रहा। भूल भी महंगी पड़ेगी। महाराष्ट्र, ओबीसी आरक्षण और जीत की अनिश्चित हार। क्या है पूरा मामला विस्तार से आपको बताते हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार जारी रह सकते हैं, लेकिन चुनाव परिणाम उसके अंतिम निर्णय के अधीन रहेंगे, जो इस मामले में दिया जाएगा। मामले में आरोप है कि राज्य ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) उम्मीदवारों के लिए आरक्षण बढ़ाते समय तय सीमा का उल्लंघन किया है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने यह मामला सुप्रीम कोर्ट की तीन-जजों की बेंच को भेजने का निर्णय लिया और इसे 21 जनवरी 2026 को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

इसे भी पढ़ें: Allahabad High Court ने फर्जी दस्तावेज के साथ गिरफ्तार चीनी नागरिक की जमानत अर्जी खारिज की

शीर्ष अदालत ने कहा कि जिन नगर परिषदों और नगर पंचायतों में पहले ही 50सदी से ज्यादा आरक्षण अधिसूचित हो चुका है वहां चुनाव तो तय कार्यक्रम के अनुसार होंगे लेकिन उनके नतीजे रिट याचिकाओं के अंतिम फैसले से प्रभावित होंगे। भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जयमाल्य बारची की बेंच ने महाराष्ट्र लोकल बॉडीज में ओबीसी रिजर्वेशन को चुनौती देने वाली रिट पिटीशन पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। यानी इन सीटों पर हो सकता है कि कुछ उम्मीदवारों को जीतकर भी हारना पड़ सकता है या उन्हें जीत का स्वाद चखने से वंचित रहना पड़ सकता है क्योंकि जिन सीटों पर आरक्षण रद्द होगा वहां जीते उम्मीदवार को विजेता होने के सुख से वंचित होना पड़ सकता है।

इसे भी पढ़ें: Supreme Court ने आयकर विभाग को फैसला हो चुके मामले में अपील करने पर लगाई फटकार

बेंच को बताया कि 246 नगर परिषद और 42 नगर पंचायत हैं जहां चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और वहां 2 दिसंबर को मतदान होने हैं। इनमें से 40 नगर परिषद और 17 नगर पंचायतें ऐसी है जहां आरक्षण 50% से ज्यादा दिया गया है। हालांकि उन्होंने पीठ को बताया कि राज्य में 29 नगर परिषदों और 32 जिला पंचायतों के साथ-साथ 346 पंचायत समितियों के चुनाव अभी भी नोटिफाई होने बाकी हैं। इसके बाद सीजीआई सूर्यकांत ने इस मामले को तीन जजों की बेंच को भेज दिया।

इसे भी पढ़ें: न्यायालय ने तिहाड़ प्रशासन से अलगाववादी नेता Yasin Malik को उचित उपचार मुहैया कराने का निर्देश दिया

सीजीआई सूर्यकांत की अदालत ने कहा अस्थाई चुनाव चलेगा पर आरक्षण का फैसला बाद में क्लियर होगा। इसमें सबसे बड़ा सस्पेंस जो आज जीतेंगे वे वास्तविक विजेता हैं या अस्थाई मेहमान। लोकतंत्र मजबूत होगा या अस्थिर। इस सवाल का जवाब तलाशा जा रहा है। राजनीतिक पार्टियों में सन्नाटा हार को जीत। जीत को हार बनना अब संभव सोचिए। चुनावी भाषणों में नेता चिल्ला रहे होंगे हमारी बहुमत सरकार और भीड़ पूछेगी फाइनल या प्रोविजनल रिजल्ट

2 दिसंबर को मतदान होने हैं

राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट बलबीर सिंह ने बेंच को बताया कि 246 नगर परिषद और 42 नगर पंचायत हैं, जहां चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और वहां 2 दिसंबर को मतदान होने हैं। इनमें से 40 नगर परिषद और 17 नगर पंचायत ऐसी हैं, जहां आरक्षण 50% से ज़्यादा दिया गया है। हालांकि, उन्होंने पीठ को बताया कि राज्य में 29 नगर परिषदों, 32 ज़िला पंचायतों और 346 पंचायत समितियों के चुनाव अभी भी नोटिफाई होने बाकी हैं।

All the updates here:

अन्य न्यूज़