सरकार ने किसान मजदूर विरोधी नीतियां नहीं बदलीं तो सरकार बदल देंगे: सीटू

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[email protected] । Sep 5 2018 3:46PM

किसान एवं मजदूर संगठनों की वाम समर्थित रैली में बुधवार को पारित प्रस्ताव में केन्द्र सरकार से किसानों और कामगारों के हितों को बुरी तरह से प्रभावित कर रही नीतियों को बदलने का आह्वान करते हुये आगाह किया गया है कि अगर नीतियां नहीं बदलीं तो सरकार बदल दी जायेगी।

नयी दिल्ली। किसान एवं मजदूर संगठनों की वाम समर्थित रैली में बुधवार को पारित प्रस्ताव में केन्द्र सरकार से किसानों और कामगारों के हितों को बुरी तरह से प्रभावित कर रही नीतियों को बदलने का आह्वान करते हुये आगाह किया गया है कि अगर नीतियां नहीं बदलीं तो सरकार बदल दी जायेगी। वाम दलों के मजदूर संगठन सीटू और अखिल भारतीय किसान सभा द्वारा आयोजित किसान मजदूर संघर्ष रैली में विभिन्न राज्यों से आये किसानों और मजदूरों को संबोधित करते हुये किसान सभा के महासचिव हनन मोल्ला ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों से परेशान किसान और कामगार संगठनों ने एक मांग पत्र जारी किया है। 

इसमें कहा गया है कि रोजमर्रा की वस्तुओं की बेलगाम कीमतों, खाद्य वितरण प्रणाली की ध्वस्त होती व्यवस्था और रोजगार के सिमटते दायरे से किसान, मजदूर और युवाओं का जीवन अंधकारमय हो गया है। संगठनों द्वारा पारित मांगपत्र में मंहगाई पर नियंत्रण करने, खाद्य वितरण प्रणाली को सुचारु बनाने, युवाओं को रोजगार के उचित अवसर दिलाने, मजदूरों के लिए 18 हजार रुपये मासिक न्यूनतम पारिश्रमिक सुनिश्चित करने, श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी बदलाव नहीं करने, किसानों के लिए स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू करने और खेतिहर मजदूरों और किसानों का कर्ज माफ करने की मांग की गयी है।

रैली में दूरसंचार, रेल, डाक और परिवहन सहित अन्य महकमों के कर्मचारी संगठनों, किसान संगठन और श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधि रामलीला मैदान में एकत्र हुये। इसके बाद हनन मोल्ला और किसान सभा के तपन सेन सहित अन्य संगठनों के नेताओं की अगुवाई में इन लोगों ने रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक पैदल मार्च किया। संसद मार्ग पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुये सेन ने कहा कि समाज के सभी वर्गों में लगातार बढ़ते आक्रोश की वजह से ही इस रैली में लाखों लोग दिल्ली पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों, मजदूरों और कामगारों ने अब संकल्प लिया है कि अगर सरकार ने गलत नीतियां नहीं बदलीं तो वे सरकार बदल देंगे। 

रैली में माकपा नेता सीताराम येचुरी, प्रकाश करात, वृंदा करात, नीलोत्पल बसु और सुभाषिनी अली के अलावा भाकपा के डी राजा सहित अन्य नेताओं ने भी शिरकत की। रैली का स्वरूप गैरराजनीतिक होने के कारण इसमें हिस्सा लेने वाले राजनेताओं ने मंच के बजाय जनता के बीच अपनी मौजूदगी दर्ज करायी। बाद में येचुरी ने संवाददाताओं से कहा कि मोदी सरकार के चुनाव पूर्व वादे चार साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद अब तक अधूरे रहे।

उन्होंने कहा, ‘अच्छे दिन तभी आयेंगे जब मोदी सरकार जायेगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सरकार को गिराना ही एकमात्र समाधान है।’ येचुरी ने बताया कि वामदल अगले सप्ताह से देशव्यापी संयुक्त आंदोलन शुरू करेंगे। इसकी रूपरेखा जल्द घोषित की जायेगी।

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