MVA विधायकों ने राज्यपाल कोश्यारी के खिलाफ जमकर की नारेबाजी, बीच में भाषण छोड़कर सदन से निकले

महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के विधायकों ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर की गई विवादित टिप्पणी के खिलाफ नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान राष्ट्रवादी कांग्रेस (राकांपा) विधायक संजय दौंड ने 'शीर्षासन' किया।
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के विधायकों ने सदन में जमकर नारेबाजी की। जिसकी वजह से राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को अपना भाषण बीच में ही रोकना पड़ा और फिर राज्यपाल सदन से बाहर चले गए। जिसका वीडियो भी सामने आया है। दरअसल, राज्यपाल ने छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर हाल ही में एक विवादित टिप्पणी की थी। जिसको लेकर सदन में जमकर नारेबाजी हुई।
#WATCH | Maharashtra Governor Bhagat Singh Koshyari leaves his speech midway & leaves from Assembly on the first day of session, as Maha Vikas Aghadi MLAs shout slogans in the House
— ANI (@ANI) March 3, 2022
The Governor had allegedly made controversial statement over Chhatrapati Shivaji Maharaj recently pic.twitter.com/ofG1tNGhyD
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समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के विधायकों ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर की गई विवादित टिप्पणी के खिलाफ नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान राष्ट्रवादी कांग्रेस (राकांपा) विधायक संजय दौंड ने 'शीर्षासन' किया।
वहीं शिवसेना नेता मनीषा कायंडे ने कहा कि वह (राज्यपाल) क्या संदर्भ दे रहे हैं ? उन्हें यह कहने की जरूरत नहीं थी। मुझे लगता है कि वह भाजपा के साथ हैं और उन्होंने सत्र शुरू होने के मद्देनजर इस विवाद को उठाया।
#WATCH | Maha Vikas Aghadi (MVA) MLAs shout slogans and protest against Governor Bhagat Singh Koshyari over his alleged controversial remarks over Chhatrapati Shivaji Maharaj.
— ANI (@ANI) March 3, 2022
NCP MLA Sanjay Daund did a 'sheershasan' in protest. pic.twitter.com/txeSgZCNgC
क्या बोले थे राज्यपाल ?
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने औरंगाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान छत्रपति शिवाजी महाराज और चंद्रगुप्त मौर्य का उदाहरण देते एक विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि इस भूमि पर कई चक्रवर्ती (सम्राट), महाराजाओं ने जन्म लिया, लेकिन चाणक्य न होते तो चंद्रगुप्त के बारे में कौन पूछता ? समर्थ (रामदास) न होते तो छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में कौन पूछता।
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राज्यपाल ने कहा था कि मैं चंद्रगुप्त और शिवाजी महाराज की योग्यता पर सवाल नहीं उठा रहा हूं। जैसे एक मां, बच्चे का भविष्य बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, उसी तरह हमारे समाज में एक गुरु का भी बड़ा स्थान है।
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