बंगाल हिंसा पर HC का आदेश, पीड़ितों के पुर्नवास के लिए 3 सदस्यीय समिति गठित करे ममता सरकार
राज्य में चुनाव बाद हिंसा पर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पांच न्यायाधीशों की एक पीठ ने निर्देश दिये कि समिति चार जुलाई को मामले की अगली सुनवाई पर उसके समक्ष एक रिपोर्ट दाखिल करे।
कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा के कारण कथित रूप से पलायन को मजबूर हुए लोगों की उनके घरों में वापसी की निगरानी और समन्वय के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि यह सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है कि कानून व्यवस्था की स्थिति बनी रहे। समिति में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग और राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के एक-एक शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे। राज्य में चुनाव बाद हिंसा पर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पांच न्यायाधीशों की एक पीठ ने निर्देश दिये कि समिति चार जुलाई को मामले की अगली सुनवाई पर उसके समक्ष एक रिपोर्ट दाखिल करे। इनमें से एक याचिका उन 200 लोगों से संबंधित थी, जिन्हें विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद कथित तौर पर कोलकाता के एंटली निर्वाचन क्षेत्र में अपने घरों में वापस नहीं जाने दिया गया था। पीठ ने समिति को इस पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया कि क्या लोगों को शांतिपूर्वक घर लौटने और वहां रहने की अनुमति है।
इसे भी पढ़ें: केंद्र और बंगाल सरकार में तकरार जारी, ममता ने अलपन बंदोपाध्याय को बनाया अपना मुख्य सलाहकार
पीठ में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी, न्यायमूर्ति हरीश टंडन, न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार शामिल थे। पीठ ने कहा कि जान का खतरा होने के कारण किसी भी व्यक्ति को अपने घर से दूर रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा, ‘‘उन्हें अपने घरों में शांति से रहने का अधिकार है। यह सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है कि कानून और व्यवस्था की स्थिति बनी रहे।’’ दो मई को विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद पश्चिम बंगाल में कई स्थानों पर झड़पों की सूचना आई थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस महीने के शुरू में कहा था कि राज्य में चुनाव के बाद हिंसा में 16 लोगों की मौत हुई है।
अन्य न्यूज़