गर्मी से वायरस का प्रकोप हो सकता है कम,लेकिन बचने का मूलमंत्र सामाजिक दूरी

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वैज्ञानिक हेमंत भेरवानी ने कहा, ‘‘अध्ययन में पता चला कि वायरस फैलने का तापमान और सापेक्षिक आर्द्रता जैसे पर्यावरण संबंधी कारकों पर निर्भर होना संकेत देता है कि भारत की गर्म जलवायु इसके प्रकोप की रोकथाम में लाभकारी हो सकती है।’’

नागपुर। राष्ट्रीय पर्यावरण आभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) के वैज्ञानिकों ने बुधवार को कहा कि भारत की गर्म जलवायु कोरोना वायरस को फैलने से रोकथाम में मददगार हो सकती है, लेकिन सामाजिक दूरी के नियम का पालन करना सबसे ज्यादा जरूरी है। सरकार संचालित अनुसंधान संस्थान ने हाल ही में महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, श्रीनगर और न्यूयॉर्क के कोरोना वायरस संक्रमण के आंकड़ों का उपयोग करके इसके फैलने तथा पर्यावरण संबंधी कारकों के बीच जुड़ी किसी तरह की कड़ी का पता लगाने के लिए अध्ययन किया।

वैज्ञानिक हेमंत भेरवानी ने कहा, ‘‘अध्ययन में पता चला कि वायरस फैलने का तापमान और सापेक्षिक आर्द्रता जैसे पर्यावरण संबंधी कारकों पर निर्भर होना संकेत देता है कि भारत की गर्म जलवायु इसके प्रकोप की रोकथाम में लाभकारी हो सकती है।’’ उन्होंने कहा कि यह निष्कर्ष अन्य वायरसों के संदर्भ में पूर्व में किये गये अध्ययनों के संगत है जिनके अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में असर कम होने के प्रमाण रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन सापेक्षिक आर्द्रता के साथ संबंध को लेकर स्पष्टता नहीं है।’’ भेरवानी ने कहा, ‘‘सामाजिक दूरी बनाकर रखने के नियम पर्यावरण संबंधी कारकों से होने वाले लाभों की तुलना में अधिक लाभकारी हैं। केरल और चेन्नई में, जहां अधिक नमी रहती है, वहां सामाजिक दूरी बनाने के नियम का कड़ाई से पालन के कारण वायरस पर नियंत्रण संभव हो सका, वहीं अधिक नमी वाले मुंबई में ऐसा नहीं देखा गया।’’

नीरी के निदेशक डॉ राकेश कुमार ने कहा कि वायरस का प्रकोप तापमान बढ़ने के साथ कम होता है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यह भी सच है कि तापमान वाले कारक को सामाजिक दूरी के नियम का साथ मिलना चाहिए, तभी यह अनुकूल होगा। अगर आप इसका पालन नहीं करते तो जितने भी फायदे मिल रहे हैं, जो अन्य देशों को इस हद तक नहीं मिल सके, सब बेकार हो जाएंगे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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