Matrubhoomi: प्राचीन है भारतीय खेलों का इतिहास, जानिए कुश्ती से लेकर शतरंज तक की कहानी

Sports Ancient India
अंकित सिंह । Apr 8 2022 4:03PM

लिखित रूप से सिंधु घाटी सभ्यता से पहले के खेलों के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है। लेकिन हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में मिले अभिलेखों से इस बात की जानकारी हासिल हो ही जाती है कि इस दौरान भी खेलकूद की बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका रही होगी। प्राचीन काल में देखें तो खेलों को क्षत्रियों में काफी लोकप्रियता हासिल की।

खेलों को शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे शरीर और मन में ताजगी रहती ही है। साथ ही साथ मांसपेशियाँ सुगठित हो जाती है। जीवन में प्रसन्नता लाने के लिए भी खेलों का महत्व बहुत ज्यादा है। यही कारण है कि चाहे कोई भी समाज हो या कोई देश हो, सभी जगह खेलों को पर्याप्त महत्व दिया जाता है। बचपन से लेकर बड़े होने तक खेलकूद हमारे जीवन का एक आवश्यक अंग हो जाता है। खेलों का इतिहास बहुत ही पुराना है। लिखित रूप से सिंधु घाटी सभ्यता से पहले के खेलों के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है। लेकिन हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में मिले अभिलेखों से इस बात की जानकारी हासिल हो ही जाती है कि इस दौरान भी खेलकूद की बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका रही होगी। प्राचीन काल में देखें तो खेलों को क्षत्रियों में काफी लोकप्रियता हासिल की। इसका सबसे बड़ा कारण तो यह था कि खेलों के जरिए हैं उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता था। तलवारबाजी, भला फेंकना, घुड़दौड़ और रथों की दौड़ भी प्राचीन भारत में बेहद ही लोकप्रिय थे। आज हम आपको भारत में खेले गए प्राचीन खेलों के बारे में बताने जा रहे हैं।

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मल्ल युद्ध- मल्ल युद्ध का इतिहास बेहद ही पुराना है। बलराम, हनुमान, भीम, जामवंत और जरासंध इत्यादि मल्ल युद्ध के लिए ही प्रसिद्ध थे। धीरे-धीरे यह मल्ल युद्ध कुश्ती में परिवर्तित हो गया। कुश्ती का उदय दक्षिण भारत में हुआ था। कुश्ती को अति प्राचीन खेल कहा जाता है जो कि कला और मनोरंजन का साधन भी रहा है। ज्यादातर स्थितियों में यह दो व्यक्तियों के बीच ही होता था। कुश्ती को प्रतिष्ठा का भी खेल कहा जाता था जिसमें दो पक्ष अपने-अपने मजबूत पहलवानों को मैदान पर उतारते थे। 

तीरंदाजी: भारत के इतिहास में लिखे तीरंदाजी बेहद ही पुराना है। रामायण और महाभारत काल में भी तीरंदाजी हुआ करती थी। तीरंदाजी को क्षत्रियों को प्रशिक्षण देने के लिए खूब इस्तेमाल किया जाता था जोकि धीरे-धीरे खेल में तब्दील हो गया। रामायण में बाल काल में हमने देखा कि किस तरीके से राम अपने भाइयों के साथ तीरंदाजी खेल खेला करते थे। तीरंदाजी को लेकर गुरुकुल में इसकी प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती थी। 

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खो-खो: भारत के इतिहास में खो-खो भी पुराना खेल है। यह मुख्य रूप से आत्मरक्षा, आक्रमण या प्रत्याक्रमण के कौशल को विकसित करने के लिए खोजा गया था। हालांकि धीरे-धीरे यह खेल में तब्दील हो गया। खो-खो आज भी भारत के कई हिस्सों में खेला जाता है।

कबड्डी: कबड्डी का इतिहास भारत से ही जुड़ा हुआ है। यह एक सामूहिक खेल होता है जो कि समाज में एकता को दर्शाता है। यह खेल लोगों में आत्मरक्षा या शिकार के गुणों को सिखाएं जाने के लिए भी किया जाता है। महाभारत में भगवान कृष्ण ने अपने साथियों के साथ कबड्डी खेला करते थे। अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फंसाया जाना भी इसी खेल का एक उदाहरण है। 

सांप-सीढ़ी: आधुनिक भारत में ही नहीं, सांप-सीढ़ी प्राचीन भारत में भी एक प्रसिद्ध खेला था। यह खेल सारिकाओं या कौड़ियों के सहायता से खेला जाता था। वर्तमान में सांप सीढ़ी का जो खेल है उसका स्वरूप 13वीं शताब्दी में तैयार किया गया था यह खेल नैतिकता का पाठ पढ़ाता है। 

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शतरंज: शतरंज को दिमाग का खेल माना जाता है। इसकी आविष्कारक रावण की पत्नी मंदोदरी को माना जाता है। दावा किया जाता है कि मंदोदरी का उद्देश्य यह था कि रावण युद्ध में ज्यादा समय व्यतीत ना करें इसीलिए उन्होंने अपने पुत्र मेघदूत के साथ मिलकर इस खेल को प्रारंभ किया था। धीरे-धीरे यह खेल लगातार प्रसिद्ध होते गया। इसे चतुरआंग या चतुरंगी कहा गया। बाद में इसका नाम शतरंज दिया गया। 

पोलो- पोलो का इतिहास भारत से जुड़ा हुआ है। मुगल काल के दौरान यह चौगान के रूप से जाना जाता है। हालांकि उसके प्रारंभिक उत्पत्ति के बारे में कई प्रकार के दावे हैं। कुछ लोग यही कहते हैं कि इसकी खोज मणिपुर में हुई थी। फिलहाल मणिपुर में इंफाल पोलो मैदान दुनिया के सबसे पुराने मैदानों में से एक है।

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गिल्ली डंडा: गिल्ली डंडा भी भारत का प्राचीन खेल है। इसमें लकड़ी की छोटी सी गिल्ली बनी होती है पर हाथ में एक बड़ा ठंडा होता है। ज्यादातर यह खेल मकर संक्रांति के आसपास खेला जाता है। इस खेल का प्रचलन सिर्फ और सिर्फ भारत में ही है। लेकिन यह काफी मनोरंजक है। गिल्ली डंडा के आधार पर ही गोल्फ का आविष्कार हुआ था।

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