गृह मंत्री राजनाथ सिंह का बयान, सिकुड़ रहा है नक्सलियों का आधार

Home Minister Rajnath Singh''s statement, the base of Maoists shrinking
[email protected] । May 21 2018 5:43PM

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि नक्सलवाद एक चुनौती था लेकिन अब ये खतरा कम हो रहा है और देश में इनका आधार सिकुड़ रहा है।

अंबिकापुर (छत्तीसगढ़)। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि नक्सलवाद एक चुनौती था लेकिन अब ये खतरा कम हो रहा है और देश में इनका आधार सिकुड़ रहा है। गृह मंत्री यहां केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की ‘बस्तरिया’ बटालियन की पासिंग आउट परेड का निरीक्षण कर रहे थे। इस बटालियन को आज सीआरपीएफ में शामिल किया गया और इसमें राज्य के नक्सल प्रभावित जिलों से आए जवान शामिल हैं। इस बटालियन को बस्तरिया नाम दिया गया क्योंकि इसके सदस्य दक्षिणी छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र से आते हैं। इस इलाके की सीमा पड़ोसी आंध्र प्रदेश , ओडिशा और तेलंगाना से लगती है। 

नक्सली गतिविधियों पर लगाम लगाने में सीआरपीएफ और छत्तीसगढ़ पुलिस की भूमिका की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि माओवादियों के हमलों में हताहत होने वाले जवानों की संख्या में भी कमी आई है। सिंह ने कहा कि जवानों की जिंदगी की भरपाई मुआवजे से नहीं हो सकती लेकिन उनके प्रति सरकार की कृतज्ञता के प्रतीक के तौर पर यह तय किया गया है कि शहीदों के परिजनों को एक करोड़ रूपये से कम नहीं मिलेगा। 

गृह मंत्री ने कहा , ‘‘ नक्सलवाद और चरमपंथ एक चुनौती है लेकिन मैं यह कहना चाहूंगा कि यह खतरा अब कम हो रहा है और इसका आधार सिकुड़ रहा है।’’ उन्होंने कहा कि इस विशेष बटालियन के गठन का फैसला किसी भी परिस्थिति का सामना करने के आदिवासी लोगों के साहस और पराक्रम को देखते हुये लिया गया। सिंह ने कहा कि सुरक्षा बलों के बीच हताहतों की संख्या में तकरीबन 53 से 55 फीसद की कमी आई है जबकि नक्सलियों के भौगोलिक फैलाव की बात करें तो इसमें 40 से 45 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। 

सिंह ने कहा कि इसका श्रेय हमारे सीआरपीएफ और राज्य पुलिस के अधिकारियों और जवानों को जाता है। गृह मंत्री ने नई बटालियन की प्रशंसा करते हुये कहा कि नए जवानों ने दिखाया है कि ‘‘ प्रतिभा, क्षमता और सामर्थ्य सिर्फ बड़े शहरों और शहरी इलाकों तक ही सिमित नहीं है बल्कि यह बस्तर के लोगों में भी है।’’ उन्होंने कहा कि इस बटालियन को बनाने का फैसला बेहद सोच समझ कर लिया गया क्योंकि सरकार जानती है कि अनुसूचित जनजाति के लोगों में ‘‘ देशभक्ति और राष्ट्रीय गर्व की भावना कूट कूट कर भरी है।’’

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