पांच साल में कितनी नौकरियां दी गईं, श्वेत पत्र जारी करे खट्टर सरकार: कांग्रेस

कांग्रेस

कांग्रेस नेता ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि 2015 में अनेक रिक्तियों के लिए विज्ञापन दिया गया था और लिखित परीक्षा सहित इसकी प्रक्रिया भी पूरी हो गई, लेकिन परिणाम की घोषणा नहीं की गई जिससे आवेदन करने वाले करीब 10 लाख उम्मीदवार अधर में लटक गए।

चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि मनोहर लाल खट्टर सरकार को इस बारे में श्वेत पत्र जारी करना चाहिए कि राज्य में पिछले पांच साल में कितनी नौकरियां दी गईं और साथ ही यह भी बताना चाहिए कि किस विभाग में कितने पद रिक्त पड़े हैं। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि सरकार को यह भी उल्लेख करना चाहिए कि हरियाणा से और बाहर से कितने सेवानिवृत्त नौकरशाहों को पुन: रोजगार दिया गया है। कांग्रेस नेता ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि 2015 में अनेक रिक्तियों के लिए विज्ञापन दिया गया था और लिखित परीक्षा सहित इसकी प्रक्रिया भी पूरी हो गई, लेकिन परिणाम की घोषणा नहीं की गई जिससे आवेदन करने वाले करीब 10 लाख उम्मीदवार अधर में लटक गए। उन्होंने कहा कि विभिन्न श्रेणियों में 1,538 पदों के परिणाम पांच साल से लंबित हैं जिनकी घोषणा हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने नहीं की है। सुरजेवाला ने कहा कि पांच साल गुजर जाने के बावजूद 2015 में निकाली गईं रिक्तियों की परीक्षा के परिणाम अब तक घोषित नहीं किए गए हैं जिससे इन पदों पर कोई व्यक्ति नौकरी नहीं कर पाया है। जिन रिक्तियों के लिए विज्ञापन दिया गया था, उनमें शिक्षकों, आबकारी निरीक्षकों, खाद्य एवं आपूर्ति निरीक्षकों, स्टेशन सुपरवाइजरों और वनकर्मियों के पद शामिल हैं। सुरजेवाला ने कहा कि पता चला है कि अब इन पदों को इस आधार पर वापस लिया जा रहा है कि 2018-19 में चयन के मानदंडों में बदलाव हो गया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इस बारे में श्वेत पत्र जारी करना चाहिए कि पिछले पांच साल में कितनी नौकरियां दी गई हैं। 

इसे भी पढ़ें: मास्क के उपयोग, स्वच्छता और सोशल डिस्टेंसिंग पर निरंतर ध्यान देकर वायरस को परास्त करेंगे

सरकार को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि किस विभाग में कितने पद रिक्त पड़े हैं। कांग्रेस नेता ने यह भी आरोप लगाया कि लॉकडाउन के दौरान खट्टर सरकार ने 1,500 अस्थायी/आउटसोर्स कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया जो विभिन्न विभागों में काम कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘विडंबना यह है कि मुख्यमंत्री खट्टर टेलीविजन पर प्रसारित अपने संबोधन में उद्योगों, दुकान मालिकों और अन्य संस्थानों से कहते रहे हैं कि वे कर्मचारियों को नौकरी से नहीं निकालें, लेकिन उनकी खुद की सरकार, यहां तक कि कोविड-19 महामारी के दौरान भी अस्थायी कर्मचारियों को बर्खास्त करने में नहीं हिचकती।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़