नुरपूर का बृज राज स्वामी मंदिर जहां भगवान श्री कृष्ण के साथ राधा रानी नहीं बल्कि मीरा बाई विराजमान हैं

Brij raj Swami temple

नूरपुर के राजा ने अपने दरबार-ए-खास को मंदिर का रूप देकर इन मूर्तियों को वहां पर स्थापित कर दिया। राजस्थानी शैली की शयाम संगमरमर से बनी श्रीकृष्ण व अष्टधातु से बनी मीरा की मूर्ति आज भी नूरपुर के इस ऐतिहासिक श्री बृजराज स्वामी मंदिर में शोभायमान है। मंदिर की भित्तिकाओं पर कृष्ण लीलाओं का चित्रण दर्शनीय है।

नुरपूर । शायद विशव में हिमाचल प्रदेश के जिला कांगडा के नुरपूर कस्बे में प्राचीन रियासत कालीन किले में अकेला बृज राज स्वामी मंदिर होगा, जहां भगवान श्री कृष्ण के साथ राधा रानी नहीं बल्कि उनकी सबसे बड़ी भक्त मीरा एक साथ विराजमान हैं। यहां भगवान कृष्ण और मीरां की मूर्तियों कि एक साथ पूजा की जाती है। भगवान कृष्ण की मूर्ति महाराणा चित्तौड़गढ़ से नूरपुर के राजा द्वारा लाई गई थी। इलाके के लोग यहां जन्माष्टमी के दिन अपने अराध्य देव के दर्शनों को उमडते हैं।

 

 

यहां भगवान श्री कृष्ण के साथ मीरां बाई बिराजमान हैं। इन्हें देख कर ऐसा लगता हैं मानों आपके सामने साक्षात भगवान श्री कृष्ण व मीरा बाई खड़े हों। प्रेम व आस्था के संगम के प्रतीक इस मंदिर का दिव्य स्वरूप जन्माष्टमी के दिन देखने को मिलता है। 

बृजराज स्वामी मंदिर मंदिर के इतिहास के साथ एक रोचक किस्सा भी जुडा है।

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यह उस समय की बात है (1629 से 1623 ई.) जब नूरपुर के राजा जगत सिंह अपने राज पुरोहित के साथ राजस्थान के चितौडग़ढ के राजा के निमंत्रण पर वहां गए। राजा जगत सिंह व उनके पुरोहित को रात्रि विश्राम के लिए जो महल दिया, उसके बगल में एक मंदिर था। जहां रात के समय राजा को उस मंदिर से घुंघरूओं तथा संगीत की आवाजें सुनाई दीं। राजा ने जब मंदिर में बाहर से झांक कर देखा तो एक औरत कमरे में श्रीकृष्ण की मूर्ति के सामने भजन गाते हुए नाच रही थी।

राजा ने सारी बात राज पुरोहित को सुनाई। पुरोहित ने भी वापसी पर राजा (चितौडग़ढ़) से इन मूर्तियों को उपहार स्वरूप मांग लेने का सुझाव दिया, क्योंकि श्री कृष्ण व मीरा की यह मूर्तियां साक्षात हैं। जगत सिंह ने पुरोहित बताए अनुसार वैसा ही किया। चितौडग़ढ़ के राजा ने भी खुशी-खुशी वे मूर्तियां व मौलश्री का पेड़ राजा जगत सिंह को उपहार स्वरूप दे दिया।

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उसके बाद नूरपुर के राजा ने अपने दरबार-ए-खास को मंदिर का रूप देकर इन मूर्तियों को वहां पर स्थापित कर दिया। राजस्थानी शैली की शयाम संगमरमर से बनी श्रीकृष्ण व अष्टधातु से बनी मीरा की मूर्ति आज भी नूरपुर के इस ऐतिहासिक श्री बृजराज स्वामी मंदिर में शोभायमान है। मंदिर की भित्तिकाओं पर कृष्ण लीलाओं का चित्रण दर्शनीय है।

यहां हर साल जन्माष्टमी का उत्सव हर साल बढ़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। पिछले कुछ समय से मौल श्री का पेड़ अपनी आयु सीमा पूरी करने के बाद क्षतिग्रस्त हो गया। मंदिर कमेटी ने उस पेड़ को बचाने के लिए विशेषज्ञों की सहायता भी ली लेकिन पेड़ नहीं बच सका, कुछ समय पूर्व मंदिर कमेटी ने मौल श्री का नया पौधा लगाया है।

मंदिर कमेटी के प्रयासों से मंदिर की व्यवस्था में पिछले सालों से काफी सुधार हुआ है। कमेटी ने मंदिर में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए हैं। जन्माष्टमी के दिन हजारों की संख्या में लोग भगवान श्री बृजराज स्वामी के दर्शन करने आते हैं।

नूरपुर में राज्यस्तरीय जन्माष्टमी महोत्सव आज मनाया जाएगा। दोपहर 12 बजे नगर परिषद नूरपुर सभागार से लेकर ऐतिहासिक बृज राज स्वामी मंदिर तक शोभा यात्रा निकाली जाएगी। मंदिर में विधि विधान से पूजा अर्चना की जाएगी। हालांकि कोविड-19 महामारी के कारण बड़े स्तर पर आयोजन नहीं होगा। आयोजित होने वाले कार्यक्रम में भी कोविड नियमों की पालना सुनिश्चत की गई है। प्रशासन आयोजन पर निगरानी रख रहा है। न तो झूले लगेंगे और न ही दुकानें सजाई जाएंगी।

 

 

वहीं उपायुक्त डा. निपुण जिंदल ने सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं दी हैं और कोविड-19 नियमों की पालना करने का भी आह्वान किया है। तहसीलदार सुरभि नेगी ने बताया कि मंदिर में दर्शनों के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के प्रवेश से पहले मुख्य गेट पर थर्मल स्कैनिंग करने के साथ ''नो मास्क-नो एंट्री'' का नियम पूरी सख्ती से लागू रहेगा। उन्होंने बताया इस मौके पर दुकानें व झूले लगाने पर पूरी पाबंदी रहेगी।

एसडीएम नूरपुर अनिल भारद्वाज ने बताया इस दौरान श्रद्धालुओं से कोविड प्रोटोकॉल के तहत बारी-बारी से दर्शन करवाने के अतिरिक्त यातायात तथा कानून व्यवस्था को सामान्य एवं सुचारू बनाए रखने के लिए महिला व पुरुष पुलिस के जवान तैनात किया गए हैं, जो मंदिर परिसर तथा मुख्य सड़क पर विशेष निगरानी रखेंगे, जबकि लोगों की सुविधा के लिए आर्य डिग्री कॉलेज तथा साथ लगती खाली जगह पर वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था रहेगी। 

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