कठुआ में बच्ची से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में छह में से 3 को उम्रकैद
वकीलों ने बताया कि जिस जगह अपराध हुआ, उस मंदिर की देखभाल करने वाले सांजीराम, विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया और आम नागरिक प्रवेश कुमार को रणबीर दंड संहिता की आपराधिक षड्यंत्र, हत्या, सामूहिक बलात्कार और सबूत नष्ट करने संबंधी धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया।
पठानकोट (पंजाब)। कठुआ में आठ वर्षीय एक लड़की से सामूहिक बलात्कार और हत्या के सनसनीखेज मामले में तीन मुख्य आरोपियों को सोमवार को यहां की एक अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। वकीलों ने बताया कि जिस मंदिर में अपराध हुआ था वहां की देखभाल करने वाले सांजी राम, विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया और एक अन्य आरोपी परवेश कुमार को रणबीर दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश, हत्या, अपहरण, सामूहिक बलात्कार, साक्ष्यों को नष्ट करना, पीड़िता को नशीला पदार्थ खिलाना और साझी मंशा के तहत अपराध को अंजाम देने का दोषी करार दिया गया। उन्होंने कहा कि उन्हें आजीवन कारावास की सजा के साथ हत्या के लिए प्रत्येक पर एक एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने के साथ ही सामूहिक बलात्कार के लिए 25 वर्ष जेल की सजा सुनाई गई है। उन्होंने बताया कि तीन सहयोगियों -- पुलिस उपनिरीक्षक आनंद दत्ता, मुख्य आरक्षक तिलक राज और विशेष पुलिस अधिकारी सुरेन्दर वर्मा को साक्ष्य नष्ट करने के लिए पांच वर्ष कैद की सजा सुनाई गई।
Kathua rape and murder case: Tilak Raj, Anand Dutt and Surinder Kumar have been convicted for destruction of evidence. They have been given 5 years of imprisonment each. https://t.co/Wnmc4tdZ1M
— ANI (@ANI) June 10, 2019
दोषियों को सोमवार को अपराह्न दो बजे सजा सुनाई जाने वाली थी। लेकिन सुनवाई देर तक चली। अदालत में मृतका के परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाले फारूकी खान ने बताया कि मुख्य आरोपी सांजीराम के बेटे एवं सातवें आरोपी विशाल को ‘‘संदेह का लाभ’’ देते हुए बरी कर दिया गया। अदालत ने परिसर के बाहर एकत्र मीडिया की नजर से दूर यह बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाया। वकीलों ने बताया कि जिस जगह अपराध हुआ, उस मंदिर की देखभाल करने वाले सांजीराम, विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया और आम नागरिक प्रवेश कुमार को रणबीर दंड संहिता की आपराधिक षड्यंत्र, हत्या, सामूहिक बलात्कार और सबूत नष्ट करने संबंधी धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया।
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उन्होंने बताया कि दो पुलिस अधिकारियों - उपनिरीक्षक आनंद दत्ता और हेड कॉन्स्टेबल तिलकराज- और एक विशेष पुलिस अधिकारी सुरेंद्र वर्मा को सबूत नष्ट करने का दोषी करार दिया गया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस की अपराध शाखा ने एक नाबालिग समेत आठ आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था।
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पिछले साल अप्रैल में दायर पंद्रह पृष्ठ के आरोपपत्र के अनुसार 10 जनवरी, 2018 को अगवा की गई आठ साल की बच्ची को कठुआ जिले में एक गांव के मंदिर में बंधक बनाकर रखा गया और उससे दुष्कर्म किया गया। उसे जान से मारने से पहले उसे चार दिन तक बेहोश रखा गया। जम्मू से करीब 100 किलोमीटर और कठुआ से 30 किलोमीटर दूर पड़ोसी राज्य पंजाब के पठानकोट में जिला एवं सत्र अदालत ने पिछले साल जून के पहले सप्ताह में इस मामले की रोजाना सुनवाई शुरू की थी। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई जम्मू कश्मीर से बाहर किए जाने का आदेश दिया था।
Six including police constable, SPOs convicted in Kathua rape case
— ANI Digital (@ani_digital) June 10, 2019
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शीर्ष अदालत ने यह आदेश उस समय दिया था जब देश को हिलाकर रख देने वाले इस मामले में कठुआ में वकीलों ने अपराध शाखा के अधिकारियों को आरोपपत्र दाखिल करने से रोक दिया था। मामले की अभियोजन टीम में जे के चोपड़ा, एस एस बसरा और हरमिंदर सिंह शामिल हैं। नाबालिग के खिलाफ मुकदमा अभी शुरू होना है क्योंकि उसकी उम्र के निर्धारण संबंधी उसकी याचिका पर जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में सुनवाई होनी है।
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