अर्थव्यवस्थाओं को डिकार्बोनाइज करने के लिए साथ आए भारत और अमेरिका, लॉन्च किया ये प्लेटफार्म

India and america come together to decarbonize economies
प्रतिरूप फोटो

भारत, अमेरिका ने सोमवार को एक संयुक्त मंच , क्लाइमेट एक्शन एंड फाइनेंस मोबिलाइजेशन डायलॉग (सीएएफएमडी) लॉन्च किया – जो दोनों देशों को डीकार्बोनाइजिंग अर्थव्यवस्थाओं के साथ तालमेल बिठाने और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए मदद करेगा।

भारत, अमेरिका ने सोमवार को एक संयुक्त मंच , क्लाइमेट एक्शन एंड फाइनेंस मोबिलाइजेशन डायलॉग (सीएएफएमडी) लॉन्च किया – जो दोनों देशों को डीकार्बोनाइजिंग अर्थव्यवस्थाओं के साथ तालमेल बिठाने  और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए मदद  करेगा। वार्ता शुरू होने से पहले द्विपक्षीय बैठकों के दौरान चर्चा का जिक्र करते हुए ,सूत्रों ने कहा कि अमेरिका जल्द ही अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) में शामिल होना के अपने फैसले की घोषणा कर सकता है।दुनिया को स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण की ओर ले जाने के लिए अमेरिका के लिए यह अगला कदम हो सकता  है।

 

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सीएएफएमडी के मुख्य  रूप से तीन स्तंभ रहे, जिनमें

1-जलवायु अनुकूलन और लचीलापन’।

2--ऐसे प्रस्तावों का विकास जो कार्बन उत्सर्जन पर अंकुश लगाने में मदद कर सकें।

3- नवीन स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी में वित्त और निवेश जुटाना।

पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने संयुक्त राज्य अमेरिका के विशेष राष्ट्रपति दूत के साथ संयुक्त रूप से मंच का शुभारंभ करते हुए कहा की-“मुझे उम्मीद है कि यह वार्ता जलवायु वित्त को मुख्य रूप से अनुदान और रियायती वित्त के रूप में जुटाने और वितरित करने के लिए काम करेगी।

द्विपक्षीय बैठक   में  दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (सीओपी26) के 26वें सत्र से पहले जलवायु मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला पर विस्तार से चर्चा की।  केरी ने लॉन्च के समय  2030 तक 450 गीगावॉट नवीकरणीय (सौर, पवन और बायोमास आदि) ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की भारत की महत्वाकांक्षी योजना का उल्लेख करते हुए कहा ,कि वह अगले 10 वर्षों में अक्षय ऊर्जा की तैनाती के लिए एक सक्षम वातावरण तैयार करेगा और द्विपक्षीय स्वच्छ ऊर्जा निवेश और व्यापार को बढ़ावा देना।

अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने केरी  के नेतृत्व  में वार्ता के दौरान भारत से COP26 से पहले अपनी जलवायु कार्रवाई महत्वाकांक्षा को बढ़ाने की मांग की ताकि दुनिया सामूहिक रूप से 2050 तक ‘शुद्ध शून्य’ उत्सर्जन लक्ष्य तक पहुंच सके( एक ऐसा लक्ष्य जो जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम कर सकता है।)

हालाँकि, भारतीय पक्ष ने कहा कि देश अपनी राष्ट्रीय परिस्थितियों और विकासात्मक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेगा। 

अमेरिका के आईएसए में शामिल होने की संभावनाओं के अलावा, दोनों पक्षों ने जलवायु के लिए कृषि नवाचार मिशन और ग्रीन क्लाइमेट फंड (जीईएफ) के तहत धन जुटाने में अंतराल पर भी चर्चा की।

केरी ने बिजली और नवीकरणीय मंत्री आरके सिंह से भी मुलाकात की, जिन्होंने अमेरिका से आईएसए में शामिल होने का आग्रह किया और अमेरिकी कंपनियों को ग्रीन fuel -हाइड्रोजन और इलेक्ट्रोलाइजर्स के लिए आगामी बोलियों में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया।

आईएसए को2015 में पेरिस में COP21 के मौके पर लांच किया गया था,जिसका मुख्यालय भारत के गुरुग्राम में स्थित है और इसका  लक्ष्य सामूहिक तौर पर सौर ऊर्जा अनुप्रयोगों को बढ़ाना और 2030 तक 1000 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश जुटाना  है।

 

अब बात यह है कि यदि अमेरिका आईएसए में शामिल हो जाता है, तो वैश्विक निकाय के लिए सौर क्षेत्र में अधिक निवेश जुटाना आसान होगा और सामूहिक रूप से सौर ऊर्जा  निवेश जुटाने के लिए प्रमुख आम चुनौतियों का समाधान किया जा  सकेगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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